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पवित्र मिटटी, गंगाजल लेकर संत हुए अयोध्या रवाना

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श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य एवं अखंड परम धाम आश्रम के परमाध्यक्ष युगपुरुष स्वामी परमानंद सरस्वती महाराज हरिद्वार से उत्तराखंड के चारों धामों की मिट्टी, गंगा का जल, उत्तराखंड की पवित्र नदियों का जल और कैलाश पर्वत से लाये गए कंकड़ पत्थर लेकर हरिद्वार से अयोध्या के लिए रवाना हो गए हैं।

 

हरिद्वार: श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य एवं अखंड परम धाम आश्रम के परमाध्यक्ष युगपुरुष स्वामी परमानंद सरस्वती महाराज हरिद्वार से उत्तराखंड के चारों धामों की मिट्टी, गंगा का जल, उत्तराखंड की पवित्र नदियों का जल और कैलाश पर्वत से लाये गए कंकड़ पत्थर लेकर हरिद्वार से अयोध्या के लिए रवाना हो गए हैं। उनके आश्रम के द्वारा मंदिर निर्माण के लिए ग्यारह लाख का चेक भी दिया गया है और उनके एक शिष्य ने सवा लाख का चेक और कैलाश पर्वत से कंकड़ पत्थर लाकर उन्हें सौंपे हैं जो 05 अगस्त को राम मंदिर निर्माण की शिलान्यास पूजा में प्रयोग में लाए जाएंगे।

अयोध्या रवाना होने से पहले आश्रम में पूजा-पाठ किया गया और फिर बड़ी खुशी और हर्षोल्लास के साथ स्वामी परमानंद सरस्वती अपने सहयोगी संतो के साथ अयोध्या के लिए रवाना हुए। अयोध्या जाते समय उनके आश्रम का माहौल भगवान श्री राममय हो गया राम भक्तों ने और उनके शिष्यों ने जमकर भगवान श्रीराम के जय घोष लगाए और घंटे घड़ियाल, शंख बजाकर उन्हें रवाना किया।

इस मौके पर उन्होंने कहा है कि लगभग 03 सालों में मंदिर तैयार होने की संभावना है अगर इस दौरान राजनीतिक कारणों से मंदिर निर्माण में ढिलाई बरती गई तो वह चिल्लायेंगे, साथ ही उन्होंने कहा कि अब राम मंदिर के बाद संतो को काशी विश्वनाथ और मथुरा चाहिए। सभी संतो की अब यही इच्छा है। उन्होंने कहा कि जब वह काशी विश्वनाथ मंदिर जाते हैं तो ऊपर मस्जिद देख कर बहुत दुख होता है और सद्भावना नहीं बनती है। अब वह काशी विश्वनाथ और मथुरा चाहते हैं।

अयोध्या रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि वह अपने साथ उत्तराखंड की सभी पवित्र नदियों का जल, चारों धामों की मिट्टी और मानसरोवर से लाए गए कंकड़-पत्थर लेकर अयोध्या जा रहे हैं, उन्हें बहुत खुशी हो रही है। यह हमारे आराध्य से जुड़ा हुआ विवाद था जो लंबे समय के बाद हल हुआ है। स्वामी परमानंद सरस्वती आज अयोध्या पहुंच जाएंगे और कल से गणेश पूजा में भाग लेंगे और 05 अगस्त को मंदिर के शिलान्यास पूजा के बाद वापस हरिद्वार आएंगे। उन्होंने बताया कि उनके आश्रम के द्वारा मंदिर निर्माण में 1100000 (ग्यारह लाख) रुपये दिए हैं अगर आवश्यकता पड़ी तो वह अपना आश्रम भी बेच कर दे देंगे।