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अम्बुजा कंपनी में मजदूरों का धरना-प्रदर्शन, मैनेजमेंट पर नहीं कोई असर

अम्बुजा कंपनी में सैकड़ों गरीब मजदूर अपनी मांगों को लेकर कंपनी प्रबन्धक से गुहार लगा रहे है - कि साहेब! हम गरीब मजदूरों की भी गुहार सुन लो!

 

भगवानपुर: जहाँ एक तरफ पूरा देश करोना जैसी घातक बीमारी से दो चार हो रहा है। वही दूसरी और ऐसी के कमरों में बैठे कंपनी के आलाधिकारी अपनी मनमानी करने से उरेज़ नहीं कर रहे है। कंपनी के मालिकों की जेब भरने वाला गरीब मजदूर ही अपनी मांगों को लेकर कंपनी के गेट पर अपने परिवार के लालन पोषण के लिए हाथ फैलाये खड़ा है। लेकिन उसके दुखों की पीड़ा ऐसी के कमरों में बैठे तानाशाह हुक्मरानों के कानों तक नही पहुँच रही है।

दअरसल पूरा मामला भगवानपुर औद्योगिक क्षेत्र के सिकन्दरपुर भैंसवाल में स्थित अम्बुजा कंपनी का है। अम्बुजा कंपनी में सैकड़ों गरीब मजदूर अपनी मांगों को लेकर कंपनी प्रबन्धक से गुहार लगा रहे है – कि साहेब! हम गरीब मजदूरों की भी गुहार सुन लो!

आप तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते है कि किस प्रकार मजदूर प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारे बाजी कर रहे है और अपनी मांगों को हुक्मरानों के कानों तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे है।

आपको बता दें कि रायपुर औद्योगिक क्षेत्र हो या फिर सिकन्दरपुर भैंसवाल – मजदूरों के शोषण को लेकर आये दिन धरना प्रदर्शन होता ही रहता है। लेकिन विभागीय अधिकारी आज तक भी मजदूरों के बीच नही पहुँचे। वहीं सूत्रों का कहना है कि कंपनी मैनेजमेंट के आला अधिकारी अपनी मनमानी इसलिए कर पाते हैं कि उन्हें सफेद नकाबपोश नेताओ का संरक्षण प्राप्त है।

इस के चलते  मैनेजमेंट के अधिकारी मजदूरों की आवाज को परवाज नहीं चढ़ने देते और मजदूरों का आंदोलन कंपनी के शोर गुल में दब कर रह जाता है। इस बाबत जब हमने मजदूर लीडर मुन्ना राम से बात की तो उन्होंने बताया कि हमने अपनी जान जोखिम में डालकर लॉकडाउन के दौरान भी काम किया और कंपनी ने एवरेज के तहत मेहनताना दिया, जिसके चलते हम सभी मजदूरों ने एक जुट होकर धरना प्रदर्शन किया।

वहीं अम्बुजा सीमेंट वर्कर यूनियन एटक ने पिछले महीने की 20 तारीख को कंपनी मैनेजमेंट को लिखित पत्र देकर अवगत कराया कि अगर उनकी जायज माँगों को मैनेजमेंट जल्द पूरी नही करता तो यूनियन एटक के मजदूर तीन जुलाई को धरना प्रदर्शन करेंगे। लेकिन लिखित नोटिस से भी मेनेजमेंट के कानों पर जूँ नही रेंगी और मैनेजमेंट अपनी मस्ती में मस्त होकर कुम्भकरणीय नींद में सोता रहा।

अब धरना देने के बाद भी यदि मैनेजमेंट ने मजदूरों की मांग पर ध्यान नहीं दिया तो उनका कहना है कि फिर मजदूर यूनियन एकजुट हो कर अनिश्चितकालीन धरने के लिए बाध्य होगी।