नियोकोव वायरस से फिलहाल मानव जीवन को नहीं है कोई खतरा : विशेषज्ञ
नई दिल्ली| महामारी कोरोना के प्रकोप से दो चार हो रही पूरी दुनिया तीसरी लहर का सामना कर रही है और अब कोरोना के नए वायरस (नियोकोव) का खतरा मंडराने लगा। इसी सप्ताह चीनी शोधकर्ताओं ने नियोकोव वायरस को लोगों के जीवन के लिए बड़ा खतरा बताया। हालांकि रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद दुनियाभर में नियोकोव चर्चा का विषय बन गया। इस वायरस के बारे में तमाम विशेषज्ञ से बात करने के बाद इस बात को कहा जा सकता है कि इस वायरस से मानव जीवन को फिलहाल कोई खतरा नहीं है।
स्टेट टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. शशांक जोशी ने बताया कि नियोकोव एक पुराना वायरस है जोकि पहली बार चमगादड़ में 2011 में पहचाना गया था। ये मार्स कोव से निकटता से संबंधित है जो कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए डीपीपी4 रिसेप्टर्स का उपयोग करता है। नियोकोव चमगादड़ के एसीई2 रिसेप्टर्स का उपयोग कर सकता है, लेकिन यह मानव एसीई 2 रिसेप्टर्स का उपयोग नहीं कर सकता जब तक कि कोई नया उत्परिवर्तन न हो। डॉ. जोशी ने कहा कि बाकी सब कुछ जो वायरस के बारे में कहा जा रहा है वह प्रचार है।
दिल्ली स्थित सीएसआईआर-आईजीआईबी के प्रमुख वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने कहा कि जूनोटिक स्पिलओवर- जानवरों से मनुष्यों में वायरस का प्रसार होना एक रेअर घटना है। उन्होंने कहा कि यह वायरस प्राकृतिक रूप में मनुष्यों को संक्रमित नहीं करता है, और चूंकि इसने अभी तक इंसानों को संक्रमित नहीं किया है, इसलिए इससे अभी तक कोई मौत नहीं हुई है। नियोकोव भी ‘नया’ नहीं है ये वायरस वर्षों पहले पहचाना जा चुका है। नियोकोव स्वाभाविक रूप से मानव एसीई2 रिसेप्टर्स के लिए बाध्य नहीं हो सकता है, लेकिन कृत्रिम उत्परिवर्तन बंधन को बढ़ा सकते हैं। हालांकि, इस तरह के उत्परिवर्तन नियोकोव में स्वाभाविक रूप से नहीं पाए जाते हैं।’
चीन के शोधकर्ताओं ने नए वायरस नियोकोव का पता लगाया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में यह वायरस चमगादड़ में मिला है। यह वायरस सिर्फ जानवरों के बीच फैलने के लिए जाना जाता था। शोधकर्ताओं के अनुसार, मानव कोशिकाओं में घुसपैठ करने के लिए वायरस के लिए केवल एक म्यूटेशन की जरूरत होती है। इसे लेकर मुंबई में भी मंथन ने शुरू हो गया है।
हालांकि टास्क फोर्स ने मुंबईकरों से इस वायरस को लेकर चिंतित न होने की अपील की है। कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. राहुल पंडित के मुताबिक, वायरस की उत्पत्ति को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। अब तक इस वायरस से मानवीय शरीर को नुकसान होने के कोई सबूत नहीं हैं। फिलहाल कोरोना की तीसरी लहर को नियंत्रित करने में मुंबईकरों और स्वास्थ्य एजेंसियों को अपना ध्यान केंद्रित करना है। मुंबईकरों को कोरोना से निपटने के लिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य है।