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विशेष: पद्म श्री कल्याण सिंह रावत से बातचीत

'मैती' की सम्पूर्ण कहानी जानें स्वयं पद्म श्री कल्याण सिंह रावत से, जानें उनका सफ़र, उनके दृढ संकल्प की कहानी, स्वयं उनकी जुबानी।

देहरादून: उत्तराखण्ड को एक नवीन पहचान दिलाता ‘मैती’ न सिर्फ भारत में बल्कि विदेश में भी आकर्षण का विषय बना। इस आन्दोलन के जनक कहे जाने वाले श्री कल्याण सिंह रावत को इस वर्ष भारत सरकार ने पर्यावरण व वन संरक्षण के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व व अद्भुत प्रयासों के लिए पद्म श्री से अलंकृत करने के लिए चुना।

‘मैत’ शब्द का अर्थ है मायका व ‘मैती’ शब्द से तात्त्पर्य मायके वालों से है। कल्याण सिंह रावत ने माँ-बेटी के सुन्दर रिश्ते को भावनात्मक रूप से वृक्षारोपण से जोड़ते हुए एक सुन्दर मिसाल रखी, जिसे हर ओर सराहा गया। मैती आन्दोलन के पीछे का सुन्दर भाव और कारगर सोच के फलस्वरूप उत्तराखण्ड में वन संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुए। मैती प्रथा के फलस्वरूप कई छोटे-बड़े मैती वनों का निर्माण हुआ है जिनमें केवल उत्तराखंड में ही करीब ५ लाख पेड़ों का रोपण और संरक्षण किया गया है।

मैती की सम्पूर्ण कहानी जानें स्वयं पद्म श्री कल्याण सिंह रावत से, जानें उनका सफ़र, उनके दृढ संकल्प की कहानी, स्वयं उनकी जुबानी।

समस्त उत्तराखण्ड वासियों व न्यूज़ स्टूडियो की टीम की ओर से हम कल्याण जी के इस अभूतपूर्व कार्य व इस सम्मान के लिए उनको शुभकामनाएं देते हैं। मैती आन्दोलन ने न सिर्फ उत्तराखण्ड में पर्यावरण के लिए एक जागरूकता की लहर चलायी, बल्कि समूचे विश्व में प्रदेश व देश का नाम गौरवान्वित किया है।

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