October 15, 2025

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सरल और संक्षिप्त

मथुरा और वृंदावन की होली इसलिए होती है खास

देश भर में मथुरा और वृंदावन की होली सबसे अनूठी और भव्य मानी जाती है।
होली

होलीसनातन धर्म में होली का त्यौहार बेहद अहम स्थान रखता है। देश भर में इसकी धूम रहती है पर मथुरा और वृंदावन की होली सबसे अनूठी और भव्य मानी जाती है।

श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की होली को देखने देश भर से ही नहीं विदेशों से भी धर्मप्रेमी सैलानियों की भीड़ उमड़ती है। जहां देश के दूसरे हिस्सों में रंगों से होली खेली जाती है वहीं सिर्फ मथुरा एक ऐसी जगह है जहां रंगों के अलावा लड्डूओं और फूलों से भी होली खेलने का रिवाज़ है। इतना ही नहीं पूरे एक हफ्ते पहले यहां समारोह शुरु हो जाता है।

इसलिए मथुरा की होली होती है खास

ऐसा माना जाता है कि आज भी मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी निवास करते हैं इसलिए पूजा-पाठ से लेकर उत्सव भी ऐसे मनाए जाते हैं जैसे वो खुद इसका हिस्सा हैं।

भगवान श्रीकृष्ण, हमेशा से ही राधा के गोरे और अपने सांवले रंग की शिकायत मां यशोदा से किया करते थे। तो राधा रानी को अपने जैसा बनाने के लिए वो उनपर अलग-अलग रंग डाल दिया करते थे।

नंदगांव से कृष्ण और उनके मित्र बरसाना आते थे और राधा के साथ उनकी सखियों पर भी रंग फेंकते थे। जिसके बाद गांव की स्त्रियां लाठियों से उनकी पिटाई करती थी। तो राधा-कृष्ण की बाकी लीलाओं की तरह ये भी एक परंपरा बन गई जिसे यहां लट्ठमार होली के तौर पर आज भी निभाया जाता है।

होलीबरसाना की लट्ठमार होली

वैसे तो पूरे शहर में ही होली की धूमधाम देखने को मिलती है लेकिन जिस होली की चर्चा पूरे देशभर में है उसे देखने के लिए आपको बरसाना, नंदगांव, ब्रज और वृंदावन आना पड़ेगा। बरसाना की लट्ठमार होली में नंदगांव से पुरुष आकर यहां की महिलाओं को चिढ़ाते हैं जिसके बाद महिलाएं उनकी लाठी-डंडों से पिटाई करती हैं।

इस लड़ाई को देखने और इसमें शामिल होने का अपना अलग ही आनंद होता है। इसके बाद वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर आएं जहां रंगों और पानी के साथ होली खेलने की परंपरा है।

ऐसे बानी मथुरा और वृंदावन की होली खास

  • बरसाना की लट्ठमार होली
  • नंदगांव की लट्ठमार होली
  • रंग भरनी एकादशी – बांके-बिहारी मंदिर, वृंदावन
  • विधवा होली – मथुरा के मैत्री आश्रम में रहती हैं विधवा महिलाएं। जहां विधवा महिलाएं भी जमकर खेलती हैं होली। जो एक बहुत ही अच्छा और सार्थक कदम है क्योंकि पहले हमारे देश के रीति-रिवाज इसके खिलाफ थे।
  • होलिका दहन – पूरे व्रजमंडल में होलिका दहन होता है।
  • होली – व्रजमंडल में खेलें पानी की होली, मथुरा, वृंदावन के सभी मंदिरों में होली की धूम देखने को मिलती है।
  • हुरंगा – दाऊजी मंदिर आकर देखें मशहूर हुरंगा होली की मस्ती।

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