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मिड-डे मील राशन बाँटने में क्या हो रही धांधली?

हर बच्ची को डेढ़ किलो कम राशन दिया जाना कहीं न कहीं सवाल तो उठता ही है। ज़िम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोगों को ज़िम्मेदारी का एहसास करना भी अब शायद एक ज़िम्मेदारी है।

रिपोर्ट: चरन सिंह

ख़ास बात:

  • मिड-डे मील राशन बाँटने में धांधली का मामला
  • बच्चियों को दिया जा रहा था डेढ़ किलो राशन कम
  • प्लास्टिक के जग को ही बना लिया नपना
  • सवाल पूछने पर बांटा सही राशन

सितारगंज, उधमसिंह नगर: कोरोना महामारी को लेकर हुए लॉकडॉउन के चलते ऊधमसिंहनगर के ज़िलाधिकारी के आदेश पर 29 अप्रैल से लेकर 2 मई तक सरकारी स्कूलों के सभी छात्र-छात्राओं को मिड-डे मील का राशन बांटा जाना था। इसके साथ ही नकद पैसे बच्चियों के खातों में डाले जाने के लिए भी प्रधानाचार्यो को निर्देशित किया गया है।

इसी को लेकर सितारगंज में भी सरकारी स्कूलों में बच्चों को आज राशन बाँटा गया। इस प्रक्रिया में राजकीय बालिका इंटर कालेज, सितारगंज में कक्षा-7 व 8 से पहुँची हर बच्ची को साढ़े 5 किलो के बजाय 4 किलो राशन दिया जा रहा था। तो वहीं कक्षा-8 से कक्षा-9 में गयी बच्चियों को 2 किलो 100 ग्राम के बजाय 2 किलो राशन दिया जा रहा था। इसके अलावा प्लास्टिक के जग को ही नपना बना कर राशन वितरण हो रहा था।

जब हमने वहाँ की प्रधानाध्यापिका अर्चना पाठक से बात की तो उनके द्वारा लीपा-पोती करते हुए जवाब दिया कि भोजन माताओं को बताया गया था लेकिन उनके द्वारा मिस्टेक हुई होगी और अब आपके द्वारा बताने के बाद सही राशन दिया जा रहा है। लेकिन तब तक न जाने कितनी बच्चियों का राशन मारा जा चुका होगा।

इस विद्यालय में 300 बच्चियां हैं जिसमें से प्रत्येक कक्षा 8 से 9 में जाने वाली बच्चियों के खाते में 93.94 रुपये तथा कक्षा 7 व कक्षा 8 में आने वाली बच्चियों को 265.29 पैसे  नक़द भी उनके खातों में डाले जाने हैं। जिनके खाते बंद हैं या जिनके खाते हैं ही नहीं, उनके माता-पिता के खातों में पैसे डाले जायेंगे।

देखा जाए तो हर बच्ची को डेढ़ किलो कम राशन दिया जाना कहीं न कहीं सवाल तो उठता ही है। ज़िम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोगों को ज़िम्मेदारी का एहसास करना भी अब शायद एक ज़िम्मेदारी है।

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