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महाकुंभ 2021 | अखाड़ों की धर्मध्वजाओं का चयन हुआ शुरू

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धर्मध्वजाओं से ही कुम्भ क्षेत्र में अखाड़ों की पहचान होती है।

 

हरिद्वार | हरिद्वार में अगले साल होने वाले महाकुंभ में सभी 13 अखाड़ों की धर्मध्वजाओं का चयन शुरू हो गया है। सन्यासी, बैरागी और निर्मल सम्प्रदाय के सभी 13 अखाड़ों में धर्मध्वजा का विशेष महत्व होता है और कुम्भ के दौरान अखाड़े अपने सभी धार्मिक कार्य इन्ही धर्म ध्वजाओं के नीचे सम्पन्न करते हैं। धर्मध्वजाओं से ही कुम्भ क्षेत्र में अखाड़ों की पहचान होती है।

शास्त्र और कुम्भ परम्परा के अनुसार हर अखाड़े की धर्मध्वजा की अलग-अलग लंबाई होती है। कई-कई फिट की लंबी इन धर्म ध्वजाओं में दंड का विशेष महत्व होता है। सन 2010 के कुम्भ में देहरादून के छिद्दरवाला के जंगलों से धर्मध्वजा के यह दंड लाये गए थे। इनके पेड़ों के चयन के लिए कुम्भ मेला प्रशासन और सभी अखाड़ों के संत प्रतिनिधियों का दल जंगलों में जा कर वृक्षों का चयन करता है।

इस बार के कुम्भ से पहले भी उत्तराखंड में किस स्थान से इन धर्मध्वजा के ध्वज दंडों को लेकर आना है। इसके लिए वन विभाग और मेला प्रशासन अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। अधिकारियों के अनुसार जल्द ही संतों और अधिकारियों की टीम जंगलों को रवाना होगी।