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भगवानपुर | वाह रे प्रशासन! तालाब में तब्दील हुआ शिक्षा का मंदिर

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स्कूल में ही बना तालाब - गेट से नहीं, बच्चे दीवार फांद कर करते हैं प्रवेश। किसी को नहीं दिखती बच्चों की तकलीफ।
भगवानपुर

 

भगवानपुर | हाल ही में कुछ समय पूर्व उत्तराखंड और दिल्ली के नेताओं के बीच प्रदेश के मॉडल पर खूब जंग छिड़ी हुई थी। दिल्ली के नेता बेहतर शिक्षा मुहैया कराने का दम भरते हुए उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों पर कटाक्ष कर रहे थे तो वही उत्तराखंड सरकार के नेता भी बेहतर शिक्षा मुहैया कराने का दावा कर रहे थे। आज हम आपको एक ऐसे शिक्षा के मंदिर का नजारा दिखाएंगे जिसको देखकर सरकारी शिक्षा और व्यवस्थाओ का आप स्वयं अंदाजा लगा सकते है।

दरअसल उत्तराखंड प्रदेश की भगवानपुर विधानसभा के गाँव किशनपुर में पड़ने वाला सरकारी जूनियर हाई स्कूल जो अपनी बदहाली पर सरकारी सिस्टम को कोसता हुआ नजर आता है। ये शिक्षा का मंदिर पिछले लंबे अरसे से तालाब में तब्दील है। बिडम्बना ये है कि हालात सुधरने की बजाय और बिगड़ते जा रहे है। शुरुआत में जब पानी कम था तो स्कूली बच्चों ने अस्थायी रास्ता बनाकर स्कूल में प्रवेश करने की व्यवस्था बनाई थी लेकिन कुछ दिन बाद वो रास्ता भी जलभराव की भेंट चढ़ गया। हालात ये है कि स्कूल में दाखिल होने पर लगता है कि किसी तालाब के पास आ गए हो।

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आपको बता दे कि भगवानपुर विधानसभा के किशनपुर में जूनियर हाई स्कूल के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। वजह हैं पास में लगी एक पंचवटी कम्पनी जिसका केमिकल युक्त पानी स्कूल के अंदर जमा हो रहा है। लेकिन इस ओर कोई शिक्षा विभाग के अधिकारी या स्थानीय जनप्रतिनिधि कोई ध्यान नही दे रहे है। सभी क्षेत्र के आला अधिकारी इस स्कूल की तरफ आंख मूंदे बैठे हैं। और इस स्कूल के अंदर गन्दा पानी आने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। यहां पर पढ़ाने वाले शिक्षक और स्कूल के सभी छात्र छात्राएं स्कूल की दीवार फांद कर स्कूल में प्रवेश करने को मजबूर हैं।

वहीं बदहाली के आंसू रो रहा यह स्कूल पिछले करीब 5 सालों से इसी स्थिति में पड़ा हुआ है, यहां पर पढ़ने वाले सभी छात्र छात्राएं पहले तो स्कूल के गेट से आते थे और जब पानी भरना शुरू हो गया तो बच्चों के द्वारा ईटें बिछाकर रास्ता बनाया गया। लेकिन आज की स्थिति यह है कि जो ईटों का रास्ता बच्चों द्वारा बनाया गया था वह इंटे भी पानी में डूब चुकी है। स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा लगातार विभाग को शिकायत करने के बाद भी आज तक कोई समाधान नही हो पाया।

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हालात इतने खराब है कि इस इकट्ठे हुए पानी मे जहरीले मच्छर पैदा हो रहे हैं। जिससे बच्चों और शिक्षकों को भी संक्रमण फैलने का खतरा सता रहा है। शिकायते लगातार करने के बाद आज तक ना तो किसी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि या किसी अधिकारी ने इस ओर आकर देखना तक गवारा नही किया। इस बाबत हालाकि भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने मीडिया के पहुंचने के बाद ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की नमामि बंसल से फोन पर बात की और समस्या का तुरंत समाधान कराने की बात कही। सोचने की बात ये है की आखिर पिछले पांच सालों से विधायिका महोदया का इस ओर ध्यान क्यों नहीं किया। प्रधानाध्यापक रामकुमार सैनी की माने तो उन्होंने नीचे से लेकर ऊपर तक हर जगह शिकायत की है लेकिन अभी तक समस्या जस की तस बनी हुई है।

अब देखने वाली बात ये होगी कि बेहतर शिक्षा का राग अलापने वाले नेता और सम्बंधित अधिकारियों की नींद कब तक टूटती है, और इस बड़ी समस्या से टीचर्स व बच्चों को कब तक निजात मिल पाती है।

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