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पौड़ी: विद्यालय की हालत जीर्ण-शीर्ण – किसी अनहोनी का इंतज़ार करता प्रशासन

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इसे लापरवाही नहीं तो क्या कहेंगे कि विद्यालय के बच्चों और स्टाफ पर हर पल मंडराते खतरे पर आगाह किया जाता रहा है...शायद इनको इंतज़ार है किसी घटना के अंजाम लेने का।

पौड़ी: खेलकूद, संस्कृति ओर विज्ञान के क्षेत्र में प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर तक प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुका विकास खण्ड पाबो का राइका जगतेश्वर एक अदद भवन को तरस गया है। 2010 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा० रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल में इस विद्यालय भवन के लिए दो करोड़ स्वीकृत किये गये थे। जिसके बाद 2015 में विधायक श्रीनगर गणेश गोदियाल द्वारा विद्यालय भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया था जो कि आज लगभग पांच साल बाद भी अधूरा पडा़ है।

वर्तमान समय में हालात कुछ ऐसे हैं कि विद्यालय अत्यन्त ही जीर्ण शीर्ण तथा क्षतिग्रस्त भवन में संचालित हो रहा है। शायद ये इंतज़ार कर रहा है किसी अनहोनी के होने की, जब प्रशासन की नींद टूटेगी और इन्हें याद आएगा कि ये काम भी उनके हिस्से आ रहा था।

विकास खण्ड पाबो के सबसे अधिक छात्रसंख्या वाले इस विद्यालय में वर्तमान में 300 से अधिक छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं। विद्यालय भवन के पीछे एक बड़ी चट्टान खिसक कर भवन की छत पर अटकने से भवन कभी भी जमींदोज़ होने की कगार पर है। इसे लापरवाही नहीं तो क्या कहेंगे कि बारम्बार अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों को इस सन्दर्भ में विद्यालय के बच्चों और स्टाफ के ऊपर हर पल मंडराते खतरे पर आगाह किया जाता रहा है, पर शायद इनको इंतज़ार है किसी घटना के अंजाम लेने का।

शायद यही वजह है की तमाम गुज़ारिशों के बावजूद इनके पास इस समस्या का कोई हल नहीं है।  विचित्र भी है कि यदि इनके पास इस समस्या का समाधान नहीं है, तो आमजन कहाँ गुहार लगाए? किस से मदद मांगे? किस के सामने अपना दुखड़ा रोये?

बरसात का मौसम आते ही विद्यालय के प्रधानाचार्य, शिक्षकों, अभिभावकों तथा छात्र-छात्राओं के माथे पर चिंता की लकीरें खिच जाती हैं। नया भवन निर्माणाधीन होने के कारण विद्यालय की मरम्मत हेतु धनराशि 2015 से निर्गत नहीं की जा रही है।

अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय भवन निर्माण के प्रति सरकार की उदासीनता दुखद है। किसी भी प्रकार की दुर्घटना के लिए शासन-प्रशासन ही उत्तरदायी रहेगा। विभागीय अधिकारियों द्वारा बजट की अनुपलब्धता कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। अभिभावकों तथा क्षेत्रीय जनता ने इस पर कड़ा रोष व्यक्त करते हुए कहा कि यदि शीघ्र ही विद्यालय भवन का निर्माण कार्य आरम्भ नहीं हुआ तो शासन-प्रशासन सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का भी घेराव किया जायेगा तथा अनशन भी किया जायेगा। इस पर भी अगर बात नहीं बनी तो कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को विद्यालय में प्रवेश नहीं दिलवायेगा तथा अन्य समीपवर्ती विद्यालयों में पढा़ने को मजबूर होंगे जिसका संपूर्ण उत्तरदायित्व विभागीय अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों तथा शासन-प्रशासन का होगा।