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पहाड़ की विकास व्यथा | हरीश रावत की पम्पिंग योजना को पलीता लगाती मौजूदा सरकार

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विकास के बीच आज भी गला तर करने को लम्बी दूरी तय करते 105 गांवों के ये ग्रामीण - प्रदेश में विकास की परिभाषा तलाश रहे हैं।

पौड़ी: तापमान बढ़ते ही पहाड़ों में पानी की समस्या होना आम बात है, मगर जब समस्या के समाधान के लिए करोड़ो रुपए खर्च होने के बावजूद इसका समाधान ना दिखे, तो इसको क्या कहेंगे?

पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लॉक की चिनवाड़ी डांडा पंपिग योजना हमेशा से ही सुर्खियों में रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा इस पम्पिंग योजना का शिलान्यास 2016 में किया गया था, जिसके बाद ग्रामीणों में उम्मीद जगी थी कि अब गर्मी के समय उन्हें पानी की समस्या से दो-चार नहीं होना पड़ेगा।

मगर लंबा समय बीत जाने के बाद भी यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। पंपिंग योजना के तहत टैंक के साथ गांव-गांव तक पाइप लाइन के जाल बिछा दिए गए। मगर अब तक बिछाय गए इन पाइपों में से एक बूंद पानी तक नहीं टपका है।

समाजसेवी जगमोहन डांगी बताते है कि इस पंपिंग योजना के लिए कई बार क्रमिक अनशन के साथ-साथ सात दिन का आमरण अनशन भी किया जा चुका है, बस हर बार ग्रामीणों को मिला है तो आश्वासन और हर बार ग्रामीणों को आश्वासन देकर उठा दिया गया। मगर अब तक इन ग्रामीणों को धरातल पर कुछ भी नहीं मिल पाया है।

लगभग 105 गांवों को पानी उपलब्ध कराने वाली यह पंपिंग योजना लंबे समय से ही आंदोलन और अनशन के कारण सुर्खियों में रही है।

मगर आंदोलन खत्म होने के बाद इस योजना की फाइलें धूल मिट्टी के नीचे ही रह गई है जिसका खामियाजा 105 गांव को हर बार गर्मियों में उठाना पड़ता है। ग्रामीणों द्वारा हर बार ही विभाग से पत्राचार किया जाता है मगर पत्राचार केवल पत्राचार तक ही सीमित रह जाता है।

4 साल बीत जाने के बाद भी आज भी ग्रामीण अपना गला तर करने के लिए लंबी-लंबी दूरियां तय करते हैं, मगर इसका जवाब किसी के पास नहीं है कि करोड़ों खर्च करने के बाद भी इस पेयजल पंपिंग योजना का क्या हुआ?

अब युवा संगठन सीमित घंडियाल ने बैठक कर साफ कर दिया है कि जल्द ही इस योजना के तहत यदि गाँव की ओर  पानी नहीं पहुँचा तो वे आन्दोलन करने के लिए विवश हो जायेंगे।