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कोरोना दौर में स्कूल खोलना – प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती

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शिक्षा मंत्री के निर्देशन में कैबिनेट बैठक के बाद ही हो सकेगा स्कूल खोले जाने पर निर्णय।

 

पौड़ी | कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच 15 अक्टूबर से स्कूल खोले जाने का मसला इन दिनों शिक्षा विभाग, सरकार और अभिभावकों के लिये बडी चिंता का विषय बना हुआ है अभिभावक जहां अपने बच्चों की सुरक्षा का जवाब शिक्षा विभाग से चाह रहे हैं तो वहीं गढ़वाल मण्डल का शिक्षा विभाग खुद इस असमंजस और चिंता में है कि वे ऐसे कोरोना के इस दौर में आखिर बच्चों की सुरक्षा की गारंटी अभिभावकों को किस प्रकार दें।

कोरोना के मौजूदा हालातों में जब कि पूरा विश्व इसकी चपेट में है और न तो इसका कोई विशेष इलाज उपलब्ध है न ही कोई वैक्सीन, ऐसे में उनके लिए छात्रों की सुरक्षा एक चुनौती से कम नहीं है। विभाग के पास छात्रों को कोरोना से बचाने के लिए पर्याप्त संसाधन भी उपल्बध नहीं हैं जिससे बच्चों को कोरोना से सुरक्षित रखा जा सके।

ऐसे में अनलाॅक 5 की गाईडलाईन में स्कूल को खोलने का ये मसला एक बड़ी सरर्ददी बना हुआ है। हालांकि इस बीच गढ़वाल मण्डल के अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह अभिभावकों से फोन पर फीडबैक भी ले रहे हैं लेकिन कोरोना के इस दौर में करीब 80 फीसदी अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। अभिवावकों का शिक्षा विभाग से सीधा-सीधा सवाल है कि क्या शिक्षा विभाग छात्रों की सुरक्षा की गारंटी ले पायेगा?

शिक्षा विभाग का कहना है कि शिक्षा मंत्री के निर्देशन में और इस विषय पर सरकार भी एक कैबिनेट बैठक करने जा रही है जिसके बाद ही स्कूल खोले जाने पर निर्णय लिया जा सकेगा। अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह का कहना है कि कोरोना दौर में खुल रहे स्कूलों को वे इस बीच सैनेटाईज कर लेंगे।