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कोरोना के बढ़ते नए मामलों से आर्थिक गतिविधियों पर असर

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कोरोना के बढ़ते नए मामलों और प्रमुख राज्यों में लॉकडाउन से इकोनॉमिक एक्टिविटीज हो रही बाधित

नई दिल्ली । देश में कोरोना के बढ़ते नए मामलों और प्रमुख राज्यों में लॉकडाउन से इकोनॉमिक एक्टिविटीज बाधित हो रही है। ऐसे में फ्यूल डिमांड में रिकवरी धीमी पड़ सकती है। महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में सीमित समय के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है, जिससे ट्रैवल और बिजनेस एक्टिविटी पर असर पड़ा है। तेल मार्केटिंग कंपनियों के मुताबिक इससे फ्यूल की खपत कम होगी।

अप्रैल के पहले हाफ में पेट्रोल-डीजल की खपत घटी
तेल कंपनियों के मुताबिक अप्रैल के पहले हाफ में डीजल की खपत मार्च से 3 फीसदी कम रहा। वहीं, पेट्रोल की खपत 5 फीसदी घटी है। दूसरी ओर रसोई की खपत कोरोना के दौरान बढ़ी थी, लेकिन इस महीने के पहले हाफ 6.4 फीसदी घटकर 10 लाख टन रहा।

2021-22 में फ्यूल डिमांड 10 फीसदी रहने का अनुमान
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फाइनेंशियल इयर (2020-21) में 194.63 मिलियन टन पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की खपत देश में हुई, जो पिछले साल 214.12 मिलियन टन रही थी। यह 30 सालों में पहली बार हुआ, जब देश में फ्यूल डिमांड इतना गिरा। इससे पहले 1998-99 में फ्यूल डिमांड 10 फीसदी के करीब गिरी थी। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि चालू फाइनेंशियल इयर (2021-22) में फ्यूल डिमांड 10 फीसदीके करीब रह सकती है।