डायबिटीज की ये दवा ले ली तो कोरोना का जोखिम होगा कम
नई दिल्ली । ताजा रिसर्च में दावा किया गया है कि टाइप-2 डायबिटीज में इस्तेमाल होने वाली दवा को अगर पहले ले ली जाए, तो यह अस्पताल जाने और मौत के जोखिम को बहुत कम कर देती है। जानकारी के मुताबिक इस दवा का इस्तेमाल पहले से मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों पर किया जा रहा है। पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसीन के शोधकर्ताओं ने कहा है कि एक अध्ययन में टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को कोविड-19 लगने से छह महीने पहले इस दवा को दी गई, तो उनमें सांस से संबंधित दिक्कतों का कम सामना करना पड़ा।
साथ ही, ऐसे मरीजों को अस्पताल जाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। इसके अलावा ऐसे मरीजों में मौत का जोखिम भी बहुत कम हो गया। यानी अगर पहले से टाइप-2 डायबिटीज में इस्तेमाल होने वाली दवा को दे दी जाए, तो ऐसे लोगों को कोरोना के कारण गंभीर रूप से बीमार पड़ने से बचाया जा सकता है।
अमेरिका में पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित करीब 30 हजार रोगियों के इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया, जो जनवरी और सितंबर 2020 के बीच सार्स-सीओवी-2 से पीड़ित पाए गए थे। अध्ययन में बताया गया कि अभी दवा ग्लूकागोन-लाइक पेप्टाइड-1 रिसेप्टर (जीएलपी-1आर) का और परीक्षण किए जाने की जरूरत है।
अब इस बात की पड़ताल होगी कि क्या यह दवा कोविड-19 की जटिलताओं के खिलाफ संभावित सुरक्षा प्रदान कर सकती है। पेन स्टेट में प्रोफेसर पैट्रिसिया ग्रिगसन ने कहा, हमारे निष्कर्ष काफी उत्साहजनक हैं क्योंकि जीएलपी-1आर काफी सुरक्षा प्रदान करने वाला प्रतीत होता है, लेकिन इन दवाओं का इस्तेमाल और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित रोगियों में कोविड-19 के गंभीर खतरे को कम करने के बीच संबंध स्थापित करने के लिए और शोध की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने कहा, अब तक कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती किए जाने और मौत से बचने के लिए टीका सबसे अधिक प्रभावी सुरक्षा है लेकिन गंभीर संक्रमण से पीड़ित रोगियों की हालत में सुधार के लिए अतिरिक्त प्रभावी उपचार की आवश्यकता है।
कोविड-19 से पीड़ित जो मरीज पहले से ही मधुमेह जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं, उनके लिए संक्रमण का खतरा ज्यादा है और उनकी मौत भी हो सकती है। ब्रिटेन में हाल में एक अध्ययन में बताया गया कि देश में कोविड-19 के कारण जितने लोगों की मौत हुई, उनमें से करीब एक तिहाई टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोग थे। बता दें कि कोरोना महामारी को हुए दो साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस इलाज सामने नहीं आया है। अब भी कोरोना के कहर से लोगों की मौत हो रही है। कोरोना का इलाज खोजने की दिशा में दुनिया भर में रिसर्च हो रही हैं।