नहीं रहा उत्तराखंड का ‘हीरा’ – एक युग का अंत

फोटो इन्टरनेट से साभार
उत्तराखंड के सुर सम्राट, कुमाऊंनी लोकगीतों को नई बुलंदियों पर पहुंचाने वाले और गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी भाषा अकादमी दिल्ली के पहले उपाध्यक्ष लोकगायक हीरा सिंह राणा का देर रात दिल्ली स्थित आवास पर हृदयाघात से निधन हो गया।
हीरा सिंह राणा के गीतों में लोक संस्कृति की महक रची बसी होती थी और गायकी में देवभूमि की एक अलग पहचान होती थी जिस वजह से वे सही मायनों में प्रदेश के लिए नायाब हीरे से कम नहीं थे। उनके गीतों में लोक की महक उठती थी। उनके निधन के साथ ही उत्तराखंड की लोक संस्कृति के एक युग का अंत हो गया।
उनके निधन पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व प्रदेश भर के लोक कलाकारों ने दुख जताया है।
हिरदा लोकसंस्कृति के मजबूत हस्ताक्षर थे, देवभूमि उत्तराखंड के सौंदर्य को अपने गीतों में जिस खूबसूरती से उन्होंने पिरोया, ऐसा शायद ही कोई और कर पाए। भावपूर्ण श्रद्धाजंलि हिरदा।
।ॐ शांति शांति शांति🙏।— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) June 13, 2020
हीरा सिंह उत्तरांचल भ्रात्रि सेवा संस्थान के मुख्य सलाहकार भी थे। उनके निधन से उत्तराखंड में शोक की लहर छा गयी। इश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें एवं इस दुख की घड़ी में उनके परिवार को इस दुख से लड़ने की शक्ति प्रदान करें।