हरिद्वार में ये श्रावण कुछ अलग – नहीं गूँज रही ‘बम भोले’ की जयकार
हरिद्वार: सावन के पवित्र महीने में हर साल लाखों कांवड़िए अपने नगरों व कस्बों से धर्मनगरी हरिद्वार में पवित्र गंगाजल लेने पहुंचा करते हैं, लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते उत्तराखंड सरकार ने शिवभक्त कांवड़ियों के हरिद्वार आगमन पर रोक लगा दी है और हर की पैड़ी पर किसी भी कावड़िए के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार के इस कदम का जहां संतों ने पूरा समर्थन करते हुए खुद भी अपील की है वहीं स्थानीय पुलिस भी पीएसी के साथ कमर कस के तैयार है।
सावन महीने की शुरुआत के साथ ही धर्मनगरी हर साल पूरी तरह कांवरियों के रंग में रंगी नजर आती थी, बम भोले के जयकारों के बीच पड़ोसी राज्यों से आए लाखों शिवभक्त कावड़िए यहां से गंगाजल लेकर अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना होते थे लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना का असर इस बार उत्तर भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा पर भी पड़ा है, हालात यह है कि सावन का महीना तो शुरू हो चुका है लेकिन हरिद्वार में कहीं भी कावड़िए दिखाई नहीं दे रहे हैं।
दरअसल कावड़ियों के आगमन से कोरोना वायरस का संक्रमण समाज में ना फैले इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने पड़ोसी राज्यों को विश्वास में लेते हुए कावड़ यात्रा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने पूरी तरह से कमर कस ली है।
हरिद्वार की सीमाओं पर जहां हर आने-जाने वालों पर नजर रखी जा रही है तो वहीं हर की पैड़ी की ओर जाने वाले तमाम रास्तों पर बैरिकेडिंग लगाई गई है लगातार आलाधिकारी क्षेत्र में घूम-घूम कर कावड़ियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने में जुटे हुए हैं, सरकार के प्रतिबंध को सफल बनाने के लिए इस बार तीन कंपनी पीएसी की भी तैनाती की गई है यही नहीं हर की पैड़ी की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर भारी पुलिस बल तैनात है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार इसके बाद भी अगर कोई कावड़िया हरिद्वार आता है तो इसे 14 दिन के लिए उसी के खर्चे पर क्वॉरेंटीन करने की व्यवस्था की गई है।
सरकार के इस कदम का वरिष्ठ साधु-संतों ने भी स्वागत किया है साधु-संत भी लोगों से अपील कर रहे हैं कि कांवड़ मेला हर साल आता है लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस राष्ट्रीय संकट है लिहाजा इस दौर में लोगों को अपने घर पर ही रह कर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। कोरोना का असर न केवल आर्थिक और सामाजिक स्तर पर देखा जा रहा है बल्कि तमाम बड़े धार्मिक आयोजन भी इसकी चपेट में हैं… ऐसे में उत्तर भारत की इस सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा पर लगाया गया प्रतिबंध अपने आप में एक बड़ा कदम है।