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प्रवासियों को पहाड़ में रोकने में नाकाम सिद्ध होती प्रदेश सरकार

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कई प्रवासी जो अपने गाँव मे कुछ करना चाहते हैं वे प्रदेश सरकार की स्वरोजगार की योजनाओं से अछूते ही हैं।

 

पौड़ी | प्रदेश सरकार द्वारा लॉक डाउन के समय घर लौटे प्रवासियों के लिए तमाम स्वरोजगार की योजनाओं के दावे किए गए थे। मगर ऐसे कई प्रवासी जो कोरोना की मार झेल कर अपने-अपने गाँव लौटे थे, और जो अपने गाँव मे ही कुछ करना चाहते हैं वे प्रदेश सरकार की स्वरोजगार की इन योजनाओं से अछूते ही हैं।

पाबौ ब्लॉक में दिल्ली से घर लौटे गोविंद रावत एक कंपनी में कार्यरत थे मगर लॉकडाउन के बाद उनको नौकरी जाती रही और वे अपने गांव की ओर लौट पड़े। सरकार द्वारा स्वरोज़गार को लेकर दिए जा रहे प्रोत्साहन के चलते गोविंद ने भी अपने घर-गांव में ही कुछ करने की सोची, जिसके लिए इन्होंने अपनी जमापूंजी भी पहाड़ में ही पोल्ट्री फॉर्म खोलने में लगा दी ओर अपने गांव में ही फॉर्म खोल भी दिया।

अभी इनके पोल्ट्री फॉर्म में 2 हजार से अधिक मुर्गी के बच्चे हैं। गोविंद अब इसका विस्तार करना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए भी कोशिश भी की। मगर सरकार की योजनाओं के प्रति जटिल प्रकिया के कारण ये इन योजनाओं का लाभ नही उठा पा रहे हैं।

इसी तरह अरविंद बताते हैं कि वे योजनाओं का लाभ उठाने के लिए पिछले 3 महीनों से प्रयास कर रहे हैं मगर अब तक उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। अगर ऐसी ही सरकारी योजनाओं का लाभ उन प्रवासियों तक नहीं पहुंचाया गया जो प्रवासी वाक़ई में पहाड़ो के लिए कुछ करना चाहते हैं तो प्रदेश सरकार की ये योजनाएं एक बार फिर से हवा-हवाई साबित होगी।

इन लोगों का मानना है कि इस कोरोना काल के चलते सरकार को जो सुनहरा अवसर प्रवासियों को रोकने के लिए मिला था सरकार इस अवसर को भुनाने में एक बार फिर से नाकाम साबित होगी।