गूगल ने संसद की स्थायी समिति के सामने माना कि वहां यूजर्स की कुछ बातें सुनी जाती है
नई दिल्ली। मोबाइल फोन, इंटरनेट पर प्राइवेसी को लेकर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं। यह न जाने कितनी बार कहा गया है कि आपके फोन में जो डाटा है, वहां सिर्फ आपके पास ही नहीं है। भारत में जिस तेजी से इंटरनेट का दायरा बढ़ रहा है,उसी तरह इस लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष पहली बार गूगल ने माना है कि कंपनी यूजर्स की कुछ बातें सुनती है।
फेसबुक और गूगल के अधिकारियों ने सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग के मुद्दे पर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा। इस दौरान गूगल से पूछा कि कुछ सेवाओं पर संदेह होता है। ओके गूगल करके जब गूगल असिस्टेंट से पूछा जाता है या बात की जाती है,तब क्या गूगल कर्मचारी भी इस सुन सकते हैं। इसपर गूगल ने माना कि उनके कर्मचारी सुन सकते हैं। हालांकि गूगल प्रतिनिधि ने माना कि संवेदनशील बातों को नहीं सुना जाता। इस पर सांसदों ने पूछा कि यह कैसे तय होता है कि क्या संवेदनशील है और क्या नहीं। समिति की ओर से आईटी मंत्रालय के प्रतिनिधि बुलाने का फैसला किया गया। समिति के सभी सदस्यों ने एक सुर में इस बात को कहा कि सरकार के दिशा निर्देश को सभी कंपनियों का मानना चाहिए।