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कोविड-19 संक्रमण से मृतकों के वारिसजनों को दी जा रही धनराशि

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सहायता राशि हेतु झूठा व फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सहायता राशि अन्य लाभ प्राप्त करना दण्डनीय अपराध है।

हरिद्वार । आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण प्रभारी अधिकारी गोपाल राम बिनवाल ने अवगत कराया है कि कोविड-19 संक्रमण से मृतक के विधिक वारिसजनों को आपदा मोचन निधि योजना के अंतर्गत राहत एवं बचाव मद से शर्तो एवं प्रतिबन्धों के अधीन प्रति मृतक 50 हजार की धनराशि का भुगतान आवेदन प्राप्त होने के 30 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से आधार लिंक बैंक खाते में डीबीटी माध्यम से किये जाने के निर्देश प्राप्त है तथा जनपद स्तर पर कोविड-19 से मृत व्यक्तियों के विधिक वारिसानों द्वारा सहायता राशि हेतु किये गये आवेदन के क्रम में जिलाधिकारी के स्वीकृति के अनुपालन में सहायता राशि दी जा रही है।

प्रभारी अधिकारी ने यह भी अवगत कराया है कि मा- उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 14 मार्च 2022 एवं दिनांक 24 मार्च 2022 को पारित आदेश के क्रम में दिनांक 20 मार्च 2022 से पूर्व कोविड-19 के कारण मृत्यु होने की स्थिति में सहायता राशि के दावों को दर्ज व आवेदन करने के लिए 60 दिन तथा दिनांक 20 मार्च 2022 के बाद कोविड-19 के कारण मृत्यु होने की स्थिति में सहायता राशि के दावों को दर्ज व आवेदन करने के लिए मा- उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश की तिथि से 90 दिन की समय सीमा निर्धारित की गयी है।

कोविड-19 से मृत व्यक्तियों के विधिक वारिसानों से आवेदन प्राप्ति के 30 दिनों की अवधि के भीतर सहायता राशि का भुगतान करने हेतु पूर्व आदेश को यथावत रखने का आदेश दिया गया है। मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में जनपद में कोविड-19 से मृत व्यक्तियों के विधिक वारिसान, जिन्होंने अभी तक सहायता राशि हेतु आवेदन नहीं किया है, उन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन दिनांक 20 मार्च 2022 से पूर्व कोविड-19 के कारण मृत्यु होने की स्थिति में 60 दिन अर्थात दिनांक 22 अप्रैल 2022 तक तथा दिनांक 22 मार्च 2022 के बाद कोविड-19 के कारण मृत्यु होने की स्थिति में 90 दिन अर्थात दिनांक 21 जून 2022 तक निर्धारित समय सीमा के भीतर सहायता का भुगतान किया जाना अनिवार्य है। उसके बाद प्राप्त होने वाले आवेदनों पर कोई विचार नहीं किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि अपरिहार्य कारणों से निर्धाारित समय सीमा के अन्तर्गत यदि कोई आवेदन प्राप्त नहीं हो पाते है, तो ऐसी स्थिति में आवेदक शिकायत निवारण समिति को अपना आवेदन प्रस्तुत करेंगे तथा शिकायत निवारण समिति द्वारा आवेदन का परीक्षण कर सहायता राशि हेतु निर्णय लिया जायेगा। सहायता राशि हेतु झूठा व फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सहायता राशि अन्य लाभ प्राप्त करना दण्डनीय अपराध है। ऐसे प्रकरण संज्ञान में आने या दोष सिद्ध होने पर राज्य सरकार, राज्य प्राधिकरण, जिला प्राधिकरण को दोषी के विरुद्ध आपदा प्रबन्धन अधिनियम, 2005 की धारा 52 के तहत 02 वर्ष का कारावास सहित जुर्माने से दण्डित किये जाने का प्रावधान है।