पौड़ी | उत्तराखण्ड के पहाड़ो में आग का तांडव
पौड़ी | जनपद पौड़ी सहित प्रदेश भर के जंगल गर्मियां शुरू होते ही लगातार जल रहे है जिसके कारण वन संपदा के साथ-साथ जंगली जानवरों को भी लगातार नुकसान होता जा रहा है। लगातार जलते जंगलों के कारण इन में रहने वाले जंगली जानवर भी आग की लपटों के कारण राख़ में तब्दील हो रहे हैं। यह आग अब जंगलो तक सिमित न रहकर आबादी क्षेत्रों तक पहुँच खेतों मे खड़ी फसलो व कई घरो को अपने चपेट में ले रही है | वन विभाग के द्वारा वनाग्नि को रोकने के लिए द्वारा तमाम दावे किए जाते रहे हैं। मगर मार्च माह में ही वन विभाग के तमाम दावों की पोल खुल गई है। अब अप्रैल माह के शुरुवाती दिनों में आग ने और विकराल रूप धारण कर लिया है |
पूरे प्रदेश भर में जंगलों की जलने की सूचना लगातार आ रही है, जिसके बाद से ही मुख्यमंत्री सहित तमाम मंत्री वनाग्नि को रोकने के लिए अधिकारीयों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं, मुख्यमंत्री ने वनाग्नि की घटनाओं को गम्भीरता से लेते हुए वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा एक आपात बैठक आहूत कर जरूरी निर्देश दिए।साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दो हेलीकाप्टर उपलब्घ कराए गए हैं।
वनाग्नि पर रोक के लिए केंद्र से मिले दो हेलीकाप्टर
उत्तराखंड के मशहूर शिकारी जॉय हुकिल कहना है कि लगातार जलते इन जंगलों के कारण जंगली जानवरों के अंदर भी आक्रोश बढ़ेगा। पहले ही गुलदारों के लिए जंगलों में भोजन की बहुत कमी है। जंगली जानवरों के आग में जल जाने के बाद इनके ऊपर भोजन का संकट उत्पन्न हो जाएगा। जिसके बाद ये भोजन के लिए बस्तियों के रुख करेंगे और ये ज्यादा हिंसक हो जाएंगे। जिस से जंगली जानवरों व इंसानों के बीच ज्यादा मुठभेड़ होगी , जो इंसानों के लिए ज्यादा खतरनाक और नुकसान देह होगा , उन्होंने आमजन से निवेदन किया कि जन सहभागिता से वनाग्नि को रोकने में अपना सहयोग दें।
इतना तय है कि अगर वन विभाग को जल्द वनाग्नि को रोकने में कामयाबी नहीं मिली तो पहाड़ों में वातावरण में भारी बदलाव के साथ पेयजल , पालतू पशुओं के लिए चारे का संकट भी आने वाले समय में उत्पन्न हो सकता है ।