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नई दिल्ली | नाइट कर्फ्यू के बाद सता रहा लॉकडाउन का डर

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प्रधानमंत्री ने कहा कि वैक्सीन आने के बाद हम टेस्टिंग को लेकर शिथिल पड़ गए हैं लेकिन इस समय भी वैक्सीन से ज्यादा चर्चा टेस्टिंग की होनी चाहिए।

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के मद्देनजर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक की है। बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कोरोना संक्रमण में अचानक हुई बढ़ोतरी पर चिंता जताई और कहा कि इस स्थिति में युद्ध स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा अगले तो तीन हफ्ते एहतियात बरतना बेहद जरूरी है। प्रधानमंत्री ने साफ किया कि इस समय संपूर्ण लॉकडाउन की जरूरत नहीं है और नाइट कर्फ्यू ही लोगों में जागरूकता लाने के लिए काफी है। प्रधानमंत्री ने बढ़ते संक्रमण के मामलों से ना घबराने की बात कहते हुए कहा है कि हमने बिना वैक्सीन के पहली लहर को काबू में किया था। अब तो हम ज्यादा संसाधनों से युक्त हैं तो दूसरी लहर को काबू करने करने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। बस हमें कोविड-19 प्रबंधन पर जोर देना होगा और सारे एसओपी का पालन करना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कहा है कि एक साल पहले जब लॉकडाउन लगाना पड़ा था तब हमारे पास संसाधनों की बेहद कमी थी, लेकिन आज जब सारी व्यवस्थाएं हैं, संसाधन है तब हमको इस स्थिति से निपटने के लिए माइक्रो कंटेंटमेंट जोन पर जोर देना होगा। हालांकि इसके लिए मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी, लेकिन परिणाम भी ज्यादा अच्छे मिलते हैं। पीएम ने नाइट कर्फ्यू को कोरोना कर्फ्यू के रूप में लेने की बात करते हुए कहा कि यह जागरूकता लाने के लिए बेहद जरूरी है। इससे बाकी व्यवस्थाएं प्रभावित नहीं होती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली लहर में हम बिना वैक्सीन के मामलों को 10 लाख से सवा लाख तक ले आए थे। अब बस केवल टेस्ट,ट्रैक और ट्रीट पर जोर देना होगा। कोविड-19 से प्रोटोकाल का पालन करना होगा। साथ ही कोविड-19 प्रबंधन पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि इन दिनों के बिना लक्षण वाले मरीज ज्यादा आ रहे हैं और उनके कारण पूरा परिवार चपेट में आ जाता है। इसलिए प्रोएक्टिव टेस्टिंग जरूरी है। लक्षण ना होने पर भी हमें चीजों को हल्के में नहीं लेना होगा।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि वैक्सीन आने के बाद हम टेस्टिंग को लेकर शिथिल पड़ गए हैं लेकिन इस समय भी वैक्सीन से ज्यादा चर्चा टेस्टिंग की होनी चाहिए। क्योंकि टेस्टिंग और ट्रैकिंग की ही सबसे बड़ी भूमिका है। किसी भी तरह हमको पॉजिटिविटी रेट पांच फीसद से नीचे लाना होगा। प्रधानमंत्री ने टेस्टिंग के बाद बढ़ रहे कोरोना संक्रमण की संख्या को लेकर कहा कि इससे चिंतित नहीं होना चाहिए, बल्कि यही एक रास्ता है जिससे हम इससे बाहर निकलेंगे। हमारा लक्ष्य 70 फीसद आरटीपीसीआर टेस्ट का होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि सैंपल ढंग से लेना चाहिए। इस बारे में कुछ शिकायतें आ रही हैं। उन्होंने राज्यों से कहा कि वह संख्या से न डरें और दूसरे राज्यों से तुलना न करें। कंटेनमेंट जोन के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि वहां पर एक भी व्यक्ति बिना टेस्ट के नहीं रहना चाहिए और संक्रमित का पता लगने के बाद उसके आस पास के कम से कम 30 लोगों का 72 घंटे से कम में टेस्टिंग होनी चाहिए। सतर्कता में कोई कमी ना रहे और कंटेनमेंट जोन में एसओपी का कड़ाई से पालन होना चाहिए।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि मृत्यु दर कम रहे इस पर जोर देना होगा। साथ ही उन्होंने टीकाकरण पर जोर देते हुए कहा कि 11 से 14 अप्रैल के बीच टीका उत्सव मनाया जाना चाहिए। इस दौरान विशेष अभियान चलाकर 45 साल से ऊपर के हर व्यक्ति को टीकाकरण करानाा चाहिए। 11 अप्रैल को ज्योतिबा फुले की जयंती है और 14 अप्रैल को डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमको वैक्सीन की बर्बादी भी रोकनी है। इस अवधि में प्रधानमंत्री ने युवाओं को आगे आने का आव्हान किया कि वे 45 साल से ऊपर के हर व्यक्ति को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें वहां तक ले जाएं। उन्होंने कहा कि अगर नौजवान एसओपी का पालन करेंगे तो वह सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने राज्यों से कहा कि वह एनसीसी और एनएसएस के काडर की सहायताा ले सकते है। प्रधानमंत्री ने कहा कि शहर में गरीब वर्ग तक पहुंचना चाहिए और उनका टीकाकरण कराने को प्राथमिकता पर लेना होगा।

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