December 26, 2024

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महाभारत समय के भद्रराज मंदिर में भक्तों ने किये दर्शन

आपको बता दें की महाभारत के समय पर कृष्ण के भाई बलराम मसूरी के इस दूरस्थ क्षेत्र दूधली में भ्रमण के लिये निकले थे

मसूरी। नगर पालिका की सीमा के अंतर्गत आने वाला भद्राज देवता की दो दिवसीय वार्षिक पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान भद्राज का दूध, घी, मक्खन व दही से अभिषेक किया व पशुओं की सुरक्षा एवं परिवार की खुशहाली की कामना की। मसूरी में आस पास के गांवों समेत देहरादून, जौनसार व जौनपुर आदि से श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहा। वही कोरोना संक्रमण को लेकर कोविड के नियमों का पालन किया गया ।

आपको बता दे कि कोरोना काल से पूर्व भगवान भद्राज का प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन मेला बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता था परन्तु कोरोना को लेकर इस बार मेले का आयोजन नहीं किया गया। पहाड़ों की रानी मसूरी नगर पालिका सीमा के अंर्तगत करीब 15 किमी दूर आयोजित भगवान भद्राज के दर्शन करने के लिये सैकडो भक्त भ्रदराज मंदिर पहुचे और भगवान भ्रदराज के दर्शन कर मनोकामना मांगी ।

भाद्रपद माह के पहले दिन हजारों की संख्या में श्रद्वालुओं ने भगवान बलभद्र को दही, दुग्ध, खीर, मक्खन और फल आदि चढाकर पूजा-अर्चना की और परिवार, एवं पशुधन की कुशलता के लिए मन्नते  मांगी। यह आस्था का ही प्रमाण है कि रात खुलने से पहले ही सैकडों भक्तों की मंदिर के बाहर लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थी और यह सिलसिला देर शाम तक चलता रहा।

मंदिर के पुजारी मोहन लाल तिवारी ने बताया कि मसूरी,देहरादून, पछवादून, विकासनगर, जौनसार, रवाई समेत दूरस्त क्षेत्रों से लोगों की आस्था का सैलाब उमड़ा है। अधिकांश भक्तजन 10 से 15 किमी पैदल सफर तय कर अपने अराध्य देव भगवान बलभ्रद के दर्शन करने पहुचें। पुजारी ने बताया की महाभारत के समय पर कृष्ण के भाई बलराम मसूरी के इस दूरस्थ क्षेत्र दूधली में भ्रमण के लिये निकले थे और वहां जाकर गौपालकों को प्रवचन दिए तथा गौ की महत्ता से अवगत कराया। तभी वहां मंदिर बनाया गया। उन्होने यहां विश्राम किया था और तभी से इस स्थान को ग्रामीणों द्वारा पूजा जाता है और प्रत्येक वर्ष यहां इसी दिन पूजा अर्चना की जाती है और श्रद्धालु यहां पर भगवान भद्रराज  के दर्शन करने आते है।