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राजधानी दिल्ली से | जल संकट गहराया, अतिरिक्त पानी देने से पीछे हटे यूपी, हिमाचल

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हरियाणा भी पानी के बदले पानी देने की योजना को आगे बढ़ाने का इच्छुक नहीं है।
दिल्ली | जल संकट गहराया, अतिरिक्त पानी देने से पीछे हटे यूपी, हिमाचल

नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली पिछले कुछ समय से पानी के संकट से जूझ रही है। मौजूदा संकट की वजह वजीराबाद बैराज में घटता जलस्तर है। दिल्ली ने उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की मदद से राष्ट्रीय राजधानी को जलापूर्ति की योजना बनाई थी, लेकिन दोनों राज्य अब पीछे हट गए हैं। हरियाणा भी पानी के बदले पानी देने की योजना को आगे बढ़ाने का इच्छुक नहीं है। हिमाचल और यूपी से जुड़े प्रस्तावों पर 2019 से विचार किया जा रहा था, लेकिन छह-आठ महीने पहले दोनों राज्यों ने इस योनजा से हाथ पीछे खींच लिए।

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दिल्ली को लगभग 1,200 एमजीडी की आवश्यकता होती है। दिल्ली जल बोर्ड लगभग 950 एमजीडी की आपूर्ति कर पाता है। हरियाणा से रोजाना 610 मिलियन गैलन पानी की सप्लाई आती है। इसमें से कैरियर लाइन्ड कैनाल (सीएलसी) से 368 एमजीडी और दिल्ली सब ब्रांच (डीएसबी) से 177 368 एमजीडी पानी आता है। जबकि यमुना से 65 एमजीडी पानी मिलता है।

इसके अलावा, दिल्ली को ऊपरी गंगा नहर के जरिए उत्तर प्रदेश से 253 एमजीडी पानी मिलता है। 90 एमजीडी पानी शहर के कुओं और नलकूपों से खींचा जाता है। दिल्ली ने पानी की कमी दूर करने के लिए यूपी से ताजे पानी के बदले 14 करोड़ गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) ट्रीटेड वेस्ट वॉटर देने की योजना बनाई गई थी।

अधिकारियों ने बताया यूपी ने पहले कहा था कि वह मुराद नगर रेग्युलेटर से गंगा का 270 क्यूसेक पानी दे सकता है। बदले में दिल्ली से सिंचाई के लिए ओखला के रास्ते यूपी को इतना ही ट्रीटेड वेस्टवॉटर दिया जाएगा। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई बैठकों और फील्ड निरीक्षणों के बाद लगभग छह महीने पहले उत्तर प्रदेश की तरफ से इस योजना को रद्द करने की जानकारी दी गई। ऐसा करने का कोई कारण भी नहीं बताया गया। अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली ने हरियाणा को भी 20 एमजीडी पानी की सप्लाई का प्रस्ताव भेजा था।

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हरियाणा को कैरियर लाइन्ड कैनाल (सीएलसी) और दिल्ली सब ब्रांच (डीएसबी) से ताजा पानी दिल्ली को देना था। बदले में दिल्ली जौंटी और अचौंदी रेग्युलेटर से सिंचाई के लिए उपचारित अपशिष्ट जल हरियाणा को देता। लेकिन हरियाणा से अब तक इस प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं मिला है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हरियाणा से पानी एक्सचेंज का प्रस्ताव ऊपरी यमुना नदी बोर्ड के स्तर पर लंबित है।

अधिकारियों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश ने यमुना का अपने हिस्से का पानी दिल्ली के बेचने के लिए दिसंबर 2019 में एक समझौता किया था। इसके तहत दिल्ली को 21 करोड़ रुपये सालाना देना था। एग्रीमेंट के बाद बयान में बताया गया था कि हिमाचल नवंबर से फरवरी तक 368 क्यूसेक और मार्च से जून तक 268 क्यूसेक पानी रोजाना सप्लाई करेगा। ये पानी हरियाणा के यमुना नगर जिले में स्थित ताजेवाला बांध से दिल्ली तक पहुंचना था। लेकिन हरियाणा ने इस समझौते का विरोध कर दिया। हरियाणा का कहना था कि उसकी नहरों में इतना अतिरिक्त पानी ले जाने की क्षमता नहीं है। इसके बाद हिमाचल भी करीब छह महीने पहले समझौते से पीछे हट गया।