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देश में कोरोनारोधी टीके का काउंटडाउन शुरू

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एक-दो दिन में ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को मिल सकती है स्वीकृति।

Photo by Daniel Schludi on Unsplash

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नई दिल्ली | घातक वायरस कोरोना से जूझ रहे भारत में अगले कुछ दिन में ऑक्‍सफोर्ड एस्‍ट्राजेनेका के कोविडरोधी टीके को आपात समय में उपयोग की मंजूरी दी जा सकती है। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की तरफ से सबमिट किया गया अपडेटेड डेटा ‘संतोषजनक’ है। एक बार डेटा का इवैलुएशन पूरा हो जाए, तो भारत में इसे अप्रूवल दिया जा सकता है।

इसके लिए यूनाइटेड किंगडम के मेडिसिंस एंड हेल्‍थकेयर प्रोडक्‍ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) के वैक्‍सीन को अप्रूवल देने का इंतजार नहीं किया जाएगा। हालांकि, यह भी हो सकता है कि यूके भी एमएचआरए के डेटा रिव्‍यू करने से पहले ही वैक्‍सीन के आपातकालीन इस्‍तेमाल की अनुमति दे दे। हम अपने रेगुलेटरी फैसले खुद ले सकते हैं। कंपनी ने यूके और ब्राजील के क्लिनिकल ट्रायल्‍स का वही डेटा सबमिट किया और रोलिंग रिव्‍यूज चल रहे हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ने जो अपडेटेड जानकारी दी है, वह भी संतोषजनक लगती है। हमें उम्‍मीद है कि रेगुलेटरी असेसमेंट के आधार पर, वैक्‍सीन एक या दो दिन में अप्रूव हो जाएगी।

जानकारी के अनुसार, एस्ट्राजेनेका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पास्कल सोरियट ने कहा कि आंकड़े दिखाते हैं कि वैक्‍सीन, फाइजर और मॉडर्ना के टीकों की तरह ही प्रभावी है जिन्हें 95 प्रतिशत तक प्रभावी होने की वजह से मंजूरी मिल चुकी है। उन्‍होंने कहा कि यह टीका बहुत तबीयत खराब होने और अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति से बचाने में 100 प्रतिशत कारगर है। उन्होंने कहा कि उनका टीका अत्यधिक संक्रामक वायरस के नए रूप के खिलाफ भी प्रभावी ‘होना चाहिए’।

केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 एक्‍सपर्ट कमेटी की मीटिंग में वैक्‍सीन को अप्रूवल मिलेगा। खबरों के अनुसार, भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके ‘कोवैक्सिन’ को मंजूरी देने की प्रक्रिया में कुछ वक्त लग सकता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि कोवैक्सिन अब भी तीसरे चरण के ट्रायल से गुजर रही है। वहीं, फाइजर ने अभी तक अपने टीके का प्रजेंटेशन नहीं दिया है। सरकार ने पहले चरण में करीब 30 करोड़ लोगों को ‘प्राथमिकता’ के आधार पर टीका लगाने की योजना बनाई है। टीकाकरण अभियान जनवरी 2021 के पहले सप्‍ताह से शुरू होकर जुलाई अंत तक जारी रह सकता है। इसमें हेल्‍थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स के अलावा 50 साल से ज्‍यादा उम्र वाली आबादी तथा 50 से कम लेकिन को-मॉर्बिडिटीज से ग्रस्‍त लोगों को शामिल किया जाएगा।

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