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बच्चे भी हो रहे हाई बीपी से पीड़ित

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बच्चों में भी हाई बीपी के मामले सामने आ रहे हैं। जानिये किन कारणों से आ रहे हैं बच्चों में हाई बीपी के मामले सामने और कैसे बच्चे बच सकते हैं ।

फीचर| आरामदायक जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण आजकल छोटे बच्चे भी उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) से पीड़ित हो रहे हैं। एक रिपोर्ट में सामने आया है कि प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में लगभग 23 प्रतिशत बच्चे उच्च रक्तचाप (बीपी) की समस्या से पीड़ित हैं। उच्च बीपी वाले 23 प्रतिशत बच्चों में से 13.6 प्रतिशत में सिस्टोलिक हाइपरटेंशन देखने को मिला, वहीं 15.3 प्रतिशत में डायस्टोलिक हाइपरटेंशन और 5.9 प्रतिशत में दोनों ही देखने को मिले हैं।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बचपन में हाई बीपी से वयस्क होने पर हृदय रोगों की शुरुआत होने का खतरा रहता है। मोटापे से ग्रस्त या अधिक वजन वाले बच्चों में अगर समय पर जांच और उपचार न हो तो स्थिति खतरनाक हो सकती है।

वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक, आजकल के बच्चे जीवन के शुरुआती चरण में ही विभिन्न प्रकार के जंक फूड के संपर्क में आ जाते हैं। यह खाद्य पदार्थ दुकानों व घरों में लंबे समय तक रखे रहते हैं, जिसके लिए उनमें अत्यधिक मात्रा में नमक और चीनी मिलाई जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। वहीं इसकी जगह ब्राउन शुगर, गुड़ और पाम शुगर का सेवन करना चाहिये।

जो चावल हम आज इस्तेमाल करते हैं, वह भी अत्यधिक परिष्कृत या प्रोसेस्ड होता है और केवल 90 मिनट में ही पच जाता है। इससे ग्लूकोज के स्तर में वृद्धि होती है और हमें अक्सर भूख लगती रहती है, जिससे दिन में बार-बार कुछ खाते रहने की इच्छा बनी रहती है।

साथ ही हाइपरटेंशन को बार-बार ऊंचे होते रक्तचाप के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो 90 मिमीएचजी से ऊपर 140 तक पहुंच जाता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक हो सकता है, जो भारत में मृत्यु के दो प्रमुख कारण हैं।

बच्चों में शुरुआत से ही अच्छे पोषण संबंधी आदतें विकसित करना महत्वपूर्ण है। छोटी उम्र से ही पर्याप्त शारीरिक गतिविधि तय करना हर बच्चे के विकास का एक समान रूप से महत्वपूर्ण पहलू है। जीवनशैली की बीमारियों की रोकथाम शुरू होनी चाहिए। स्कूल अपने छात्रों के जीवन को सही दिशा देने में मदद कर सकते हैं और बचपन में मोटापे के खिलाफ लड़ाई में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बचपन की स्वस्थ आदतें आगे के स्वस्थ जीवन की नींव रखती हैं।

हेल्थ एक्सपर्ट ने सुझाव देते हुए कहा, बच्चों में शुरू से ही खाने की अच्छी आदतों को प्रोत्साहित करें। उनके पसंदीदा व्यंजनों को सेहत के लिए उचित तरीके से बनाने का प्रयास करें। कुछ बदलावों से स्नैक्स को भी स्वास्थ्यप्रद बनाया जा सकता है। कैलोरी से भरपूर भोजन से बच्चों को दूर ही रखें। उन्हें ट्रीट देने में हर्ज नहीं है, लेकिन संयम के साथ और वसा, चीनी व नमक की मात्रा का ध्यान रखते हुए। बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने का महत्व समझाएं।

उन्होंने कहा, हर दिन कम से कम 60 मिनट तक मध्यम से तीव्र शारीरिक गतिविधि में शामिल करें। एक जगह बैठे रहने की आदत को कम करें. पढ़ना एक अच्छा विकल्प है, इसलिए स्क्रीन पर अधिक समय न बिताएं। बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल या कम्प्यूटर से हटाकर कुछ आउटडोर गतिविधियों में लगा दें।