February 23, 2025

Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

चंडी चौदस | जो मांगेगें, आज मिलेगा माँ चंडी के मंदिर में

पुराणों में भी इस बात का उल्लेख है कि जो भी मनुष्य अष्टमी, नवमी और चंडी चौदस को यहाँ पहुंच कर माता की आराधना करता है उसे मन वांछित फल की प्राप्ति होती है।

 

हरिद्वार | माँ भगवती देवी दुर्गा ब्रह्माण्ड में पराशक्ति और सर्वोच्च देवी मानी जाती हैं। जहाँ बीते दिनों माँ भगवती की शक्ति साधना को समर्पित नवरात्रि के पावन दिनों में देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा हुई, वहीं आज चंडी चौदस के पर्व पर ही इन नवरात्रों को पूर्ण माना जाता है।

असुरों पर क्रोधित होकर प्रहार और अपने भक्तों पर ममता का स्नेह लुटाने वाली देवी का ऐसा ही संयुक्त स्वरूप मौजूद है धर्मनगरी हरिद्वार के नील पर्वत पर। जी हाँ, यहां माँ को चंडी देवी के रूप में जाना जाता है। नवरात्रों के दौरान देश के कोने-कोने से भक्तों की अपार भीड़ इस मंदिर में जुटती है।

आज चंडी चौदस का पर्व है। आज ही के दिन नवरात्रे पूर्ण माने जाते है। यूं तो माँ चंडी देवी मंदिर पर वर्ष भर श्रद्धालु अपनी श्रद्धा लेकर पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्रों के पावन दिनों में यहां का नजारा देखते ही बनता है।

माँ चंडी देवी मंदिर हरिद्वार नगरी के दक्षिण में शिवालिक पर्वत पर स्थित है। यहां दो मार्गों से पहुंचा जा सकता है। एक पैदल मार्ग है और दूसरा रोपवे। पैदल मार्ग से चढ़ाई करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बहुत अधिक है। दूर-दूर से आए श्रद्धालु माता के जयकारों के साथ पहाड़ पर चढ़ाई करते हैं। वहीं रोपवे से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहाड़ के शिखर पर माँ चंडी देवी के दर्शन करने पहुंचते हैं।

मंदिर में दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं के जितने चेहरे हैं देवी के चमत्कारों की उतनी ही कहानियां। कुछ भक्त देवी को संतान का सुख देने वाली देवी कहते हैं तो वहीं कुछ भक्त परिवार में सुख-शांति, धनधान्य की वर्षा होने की बात कहते नहीं थकते। चंडी देवी मंदिर परिसर में लगी भक्तों की लंबी कतारें माता के प्रति उनकी अटूट आस्था को व्यक्त करती है। बिना थके बिना रुके श्रद्धालु भक्ति के रस में सराबोर हैं।

चंडी देवी मंदिर के महत्व को लेकर मान्यता है कि जब देवासुर संग्राम हुआ तो देवराज इंद्र का सिंहासन छीनने के बाद राजा इंद्र त्रिदेवों ब्रह्मा-विष्णु-महेश के पास सहायता के लिए पहुंचे। तब त्रिदेव ने उन्हें मां भगवती की उपासना करने को कहा। राजा इंद्र ने कई वर्षों तक मां भगवती की आराधना की जिससे प्रसन्न होकर देवी रुद्र चंडी के रूप में प्रकट हुईं और दैत्यों का संहार किया। माँ भगवती यहां रुद्र चंडी और मंगल चंडी के रूप में विराजमान है।

पुराणों में भी इस बात का उल्लेख है कि जो भी मनुष्य अष्टमी, नवमी और चंडी चौदस को यहाँ पहुंच कर माता की आराधना करता है उसे मन वांछित फल की प्राप्ति होती है।

हरिद्वार में शिवालिक पर्वत पर स्थित चंडी देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। यूं तो माँ भगवती के देशभर में अनेकों मंदिर हैं, लेकिन हरिद्वार का माँ चंडी देवी मंदिर भी माता के भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।