सांसों की कालाबाजारी, सिलेंडर की किल्लत
4,200 रुपए का ऑक्सीजन सिलेंडर 15 हजार में बिक रहा
नई दिल्ली । दूसरी लहर में भयावह रूप ले चुके कोरोना से संक्रमित लोगों को बचाने के लिए एक-एक सांस का संघर्ष चल रहा है। सरकारें दवा और ऑक्सीजन की आपूर्ति सामान्य होने का दावा कर रही हैं, वहीं इनके अभाव में लोग दम तोड़ते लोग दिख रहे हैं। लखनऊ से मुंंबई और राजस्थान से पंजाब तक हालात चिंताजनक हैं।
हवा के रास्ते फैलता है कोरोना वायरस
सांसों के संकट को अवसर मान ऑक्सीजन की कालाबाजारी की भी शिकायतें आ रही हैं। यूपी के निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन बाइक, साइकिल, रिक्शे, ऑटो और कार से खुद सिलेंडर ढो रहे हैं। ऑक्सीजन फैक्ट्रियों के बाहर लंबी कतारें हैं। पीजीआई में पहले रोज 50 सिलेंडर की खपत थी अब 500 लग रहे हैं।
डीजी हेल्थ डॉ. डीएस नेगी दावा करते हैं कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है, जबकि राजधानी में ही हालत खराब हैं। प्रदेश के 75 में से 12 जिलों में संक्रमण भयावह है। ऑक्सीजन उत्पादक बताते हैं कि पहले रोज 1200 सिलेंडर तैयार करते थे अब 1900 कर रहे हैं। फिर भी कमी है।
अप्रैल के अंत तक बढ़ सकती है किल्लत
प्रदेश में रोज 1250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। पहले 200 मीट्रिक टन तक मेडिकल सप्लाई थी। अब यह बढ़कर 650-750 मीट्रिक टन हो गई है। 8 अप्रैल को प्रदेश में 34,100 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। अप्रैल के अंत तक मरीजों का आंकड़ा 9 लाख पहुंच सकता है। ऐसा हुआ तो ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। महाराष्ट्र 30-50 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गुजरात और 50 टन छत्तीसगढ़ से मंगाने की कोशिश कर रहा है।
जयपुर में 700 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर
राजस्थान के सबसे बड़े कोविड अस्पताल जयपुर के आरयूएचएस में 1,700 ऑक्सीजन सिलेंडर वर्किंग हैं और 1,500 का बैकअप है। आरयूएचएस में रोज 100 से अधिक मरीज भर्ती हो रहे हैं। वहीं, 700 से अधिक मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, लेकिन जरूरत 800 से ज्यादा सिलेंडर की है। भिवाड़ी से आने वाले लिक्विड ऑक्सीजन को सिलेंडरों में भरने के लिए आरयूएचएस में प्लांट लगाया गया है। इसमें 1,700 सिलेंडर की ऑक्सीजन हर समय तैयार रहती है।
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पंजाब: 25 फीसदी ऑक्सीजन बेड ही भरे
पंजाब में मेडिकल आक्सीजन बनाने वाली 7 यूनिट हैं जो 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तैयार करती हैं। इसके अलावा हिमाचल, हरियाणा और उत्तराखंड से 140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आती है। अभी पंजाब में 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड है। प्रदेश में अभी केवल 25 फीसदी ऑक्सीजन बेड भरे हैं। बड़े सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं।
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