TOP STORY | आज किसानों का भारत बंद
- सुबह 6 बजे से 12 घंटे ठप रहेगी फल-सब्जी व दूध सप्लाई
- शहर के अंदर-बाहर सड़क से लेकर रेलवे ट्रैक रहेंगे जाम
नई दिल्ली | कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठन शुक्रवार (26 मार्च) को ‘भारत बंद’ कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, किसान आंदोलन के 120 दिन पूरे होने पर ‘भारत बंद’ किया जा रहा है।
हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस, लेफ्ट, समेत कई विपक्षी दलों ने बंद का समर्थन किया है। किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि 28 मार्च को वे होलिका दहन पर नए कानूनों की प्रतियां जलाएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, 26 मार्च को ‘संपूर्ण रूप’ से भारत बंद रहेगा। जिन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव होने हैं, उन्हें भारत बंद से अलग रखा जाएगा। पिछली बार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छूट दी गई थी। इस बार किसान नेता दावा कर रहे हैं कि 26 मार्च को दिल्ली के अंदर भी भारत बंद का प्रभाव देखा जाएगा।
इस दौरान, रेल और सड़क यातायात को बाधित करने की योजना है। दुकानों और डेयरी जैसी जगहों को बंद रखा जाएगा। सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक, सार्वजनिक स्थलों को भी बंद रखा जाएगा। किसी कंपनी या फैक्ट्री को नहीं बंद कराया जाएगा। पेट्रोल पंप, मेडिकल स्टोर, जनरल स्टोर जैसी जरूरत की जगहें खुली रहेंगी।
दिल्ली बॉर्डर आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर यह बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक पूरी तरह बंद रहेगा। इस दौरान दूध व फल-सब्जी जैसी रोजमर्रा की जरूरत वाली चीजों की सप्लाई भी ठप रहेगी।
इसके अलावा किसान सड़क आवाजाही से लेकर रेलवे ट्रैक पर पूरी तरह जाम रखेंगे। किसानों के जाम के दौरान सिर्फ मेडिकल एमरजेंसी यानी एंबुलेंस, अस्पताल को छूट रहेगी। इसके अलावा सेना तक की गाडिय़ां रोकी जाएंगी।
किसान संगठनों के बंद को देखते हुए बस व रेल सेवा ठप रहेगी। हालांकि रेलवे या पंजाब रोडवेज की तरफ से अधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है लेकिन अफसर कह रहे हैं कि जब सड़क व रेलवे ट्रैक जाम रहेंगे तो वहां से सेवा जारी नहीं रखी जा सकती।
इस वजह से जाम व प्रदर्शन शुरू होते ही बसें व ट्रेनें जहां होंगी, वहीं रोक दी जाएंगी। कोशिश की जा रही है कि इन्हें किसी ऐसी जगह पर रोका जाए, जहां इंतजार करने पर यात्रियों को खाने-पीने की सुविधा भी मिल सके।
बंद रहेंगे बाजार
केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान संगठन आढ़तियों का भी समर्थन ले रहे हैं। इसके चलते शुक्रवार को फल व सब्जी मंडियां भी बंद रहेगी। किसान संगठनों ने आढ़तियों को वीरवार को माल न मंगवाने को कहा है ताकि शुक्रवार सुबह उसकी बिक्री के लिए मंडी न खोलनी पड़े। बंद के दौरान शहर के बाजार भी बंद रखे जाएंगे। पंजाब में चूंकि किसान आंदोलन को बड़ा समर्थन मिल रहा है, इस वजह से शहर के भीतर भी जबरदस्त प्रदर्शन होने की उम्मीद है।
अब सरकार से आरपार की लड़ाई
किसान नेताओं ने कहा कि इस बार का भारत बंद अलग तरह का होगा। इस बंद में किसी को जबरदस्ती बंद में हिस्सा लेने के लिए नहीं कहा जाएगा, इसमें देश के लोग किसानों के हक की बात करते हुए बंद में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि देश के ट्रेड यूनियन और कर्मचारी जत्थेबंदियां सरकार से पूरी तरह से परेशान है जो इस भारत बंद में स्वेच्छा से उनका साथ देंगे। किसान मोर्चे के नेता रुलदू सिंह मानसा ने किसान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर लगातार दिल्ली की सरहदों पर आंदोलन कर रहे है।
उन्होंने कहा कि इस बार भारत बंद में कई ट्रेड यूनियन और लोग अपना योगदान करने के लिए आगे आऐंगे। मानसा ने कहा कि मोदी सरकार की ओर से किसानों के उपर बहुत ज़ुल्म किया गया है जिसे वे कभी भूल नहीं पाऐंगे। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन लंबा खींच सकता है इसके लिए तैयारी कर ली गई है और सरकार को अपनी मांगों को मनवाने के बाद ही वापस आया जाएगा।
किसी नेता को अपना नहीं मानते
किसान नेता मानसा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि किसान जत्थेबंदियों न कैप्टन अमरिंदर सिंह और न सुखबीर बादल और न ही केजरीवाल को अपना मानते है। देश में केवल दो जमात काम कर रही है, एक जमात गरीबों को लूट रही है और दूसरी जमात लूटी जा रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पंजाब में होने वाले चुनाव में किसी राजनीतिक दल को समर्थन नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में किसान मोर्चे की ओर से लोगों को यह कहा गया है कि भाजपा को वोट न डाला जाए। वे चाहे तो किसी अन्य प्रत्याशी को अपना वोट डाल सकते है।
किसान अब सरकार को कुछ नहीं देंगे
मानसा ने कहा कि अब किसान गेहूं कटाई के बाद दो महीने तक समय ही समय है। इस दौरान किसानों के पास तीन विकल्प है। पहले विकल्प में कोई किसान व सरकार के बीच आकर सुलह सफाई करवाए, दूसरे विकल्प में अब किसान सरकार के साथ डंडे की लड़ाई लड़ सकते है और तीसरे विकल्प में पंजाब का किसान न कोई सामान केंद्र को देगा और न कोई सामान केंद्र से लेगा। दो महीनें में सरकार को उसकी औकात का पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विकल्प से आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ी जाएगी जिससे आजादी आएगी। उन्होंने कहा कि पंजाब का किसान किसी प्रकार का कोई बिल नहीं चुकाऐंगे। इन विकल्पों पर आने वाले दिनों में किसान मोर्चा के सदस्य निर्णय ले सकते है।
कोरोना नहीं प्रदूषण के कारण लोग मर रहे
मानसा ने कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार की ओर से कुछ ज्यादा ही बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोग कोरोना से तो नहीं लेकिन प्रदूषण फैलने से जरुर मरेंगे। उन्होंने कहा कि पहले देश के पूंजीपति देश एक-दूसरे से लड़ाई करके और बम बरसा कर कब्जा करते थे और अब सरकारें कोरोना बम फैला कर लोगों पर कब्जा कर रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण पहले एक बार आया और चला गया था। उसके बाद अब फिर कोरोना संक्रमण आराम करके वापस आ गया है। उन्होंने हंसते हुए कहा कि जहां हम जैसे लोगों ने पूरे जीवन में हाथ नहीं धोए उसे सरकार ने एक महीने से भी कम समय में हाथ साफ करवा दिए।
ईवीएम मशीन पर बोले-कोई खराबी नहीं
किसान नेता रुलदू सिंह मानसा से जब पत्रकारों ने ईवीएम मशीन को लेकर प्रश्न किए तो उन्होंने कहा कि ईवीएम मशीन में कोई खराबी नहीं है। लोग अपनी मर्जी से वोट करते है। उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर भाजपा हार गई तो वहां क्यों नहीं कोई चेंज किया गया। उन्होंने कहा कि मोदी ने लोगों की धार्मिक भावना को लेकर उनकी वोट ली। उन्होंने कहा कि ईवीएम मशीन में कोई बदलाव करने से कोई दल जीत सकता तो फिर सब जगहों पर भाजपा ही भाजपा के लोग जीतते।
सरकार में हिम्मत है तो मुझे पकड़ कर दिखाए
किसान नेता मानसा ने कहा कि लखा सिधाना आने वाले दिनों में किसान स्टेज से बोलते हुए दिखेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार में अगर हिम्मत है तो लखा सिधाना या मुझे पकड़ कर देखे। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों पर दबाव बनाने के लिए उन पर कई तरह के केस जबरदस्ती डाल दिए है, जिससे डरा नहीं जाएगा और सरकार के ज़ुल्म का जवाब दिया जाएगा।
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