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त्योहारी सीजन खत्म होते ही एक बार फिर बढ़ सकते हैं कोरोना संक्रमण के मामले

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दिवाली पर  कई राज्यों में लोग जबरदस्त लापरवाही करते नजर आ रहे हैं। बाजारों में भीड़ बगैर मास्क पहने घूम रही है।
कोरोना

नई दिल्‍ली । देश में भले ही कोरोना के मामलों में कमी आ रही हो, लेकिन त्‍योहारों का मौसम खत्म होते ही एक बार फिर कोविड-19 के मामलों के अचानक बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। दिवाली पर  कई राज्यों में लोग जबरदस्त लापरवाही करते नजर आ रहे हैं। बाजारों में भीड़ बगैर मास्क पहने घूम रही है और शारीरिक दूरी को धता बता रही है। इसके अलावा देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के नए रूप एवाई.4.2 के मामले सामने आ रहे हैं, जो भविष्य में तीसरी लहर का कारण बन सकते हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है एवाई.4.2 को लेकर अभी ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।

एवाई.4.2 उसी कोरोना वायरस की प्रजाति का म्यूटेशन है जिसका डेल्टा या बी.1.617.2 वेरिएंट था। यह सबसे पहले पिछले साल अक्टूबर में सामने आया था और इसकी वजह से दूसरी लहर में भारत में कोरोना के मामलो की बाढ़ आ गई थी। यह डेल्टा वेरिएंट से ही निकला है। जो एवाई.4.2 से भिन्न है। डेल्टा वेरिएंट के फिलहाल 55 सब वेरिएंट हैं। यह इस साल जुलाई में ब्रिटेन में पाया गया था। लेकिन हाल में इस वेरिएंट से जुड़े मामलों के बढ़ने की खबर है। देशभर के शोधार्थी इस बात पर एकमत हैं कि एवाई.4.2 ज्यादा संक्रामक हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं मिला है, जिसके चलते तुरंत कोई चिंता करने की बात हो।
रूस के शोधार्थी ने बताया है कि एवाई.4.2 अपने जनक वेरिएंट यानी डेल्टा वेरिएंट से 10 फीसदी ज्यादा संक्रामक हो सकता है। हालांकि इसकी प्रक्रिया धीमी हो सकती है और वैक्सीन इस वैरिएंट के खिलाफ ही असरकारी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एवाई.4.2 से जुडे़ मामले दुनियाभर में बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में एवाई.4.2 वेरिएंट के कुल 26,000 मामलों के होने की पुष्टि की है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह मौलिक डेल्टा वेरिएंट की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा संक्रामक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेडरोस एडोहेनोम ग़ेब्रेयसस ने हाल ही में कहा कि कोविड-19 से जुड़े मामले और मौत दो महीने के बाद पहली बार बढ़ी नजर आ रही है, हालांकि ज्यादा मामले यूरोप से हैं। इससे हमें यह याद रखना होगा कि महामारी अपनी खत्म नहीं हुई है और वायरस म्यूटेट होगा और तब तक फैलता रहेगा जब तक इस पर काबू नहीं पा लिया जाता। भारत कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भयानक मंजर का सामना कर चुका है।