‘गांव चलो’ अभियान से अपनी जड़ों को और मजबूत करेगी BJP, सीएम से लेकर पदाधिकारी तक गांवों में करेंगे प्रवास
लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस चुकी भाजपा ने अब गांवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए वहां अपनी जड़ों को और मजबूत करने की ठानी है। इसी कड़ी में अगले माह के आखिर या फरवरी के पहले सप्ताह से प्रारंभ होने वाले पार्टी के “गांव चलो” अभियान की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, सांसद और पार्टी पदाधिकारी एक-एक गांव का दौरा कर वहां चौबीस घंटे प्रवास करेंगे। इस दौरान बूथ स्तर की बैठकें भी होगी। पिछले चुनावों में पार्टी ने जो बूथ हारे हैं, उन्हें जीतना और जो जीते हैं, उनमें पिछली बार के मुकाबले 10 प्रतिशत मतों में वृद्धि करना, इस अभियान का लक्ष्य है।
उत्तराखंड के चुनावी परिदृश्य पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा की राह अब तक निष्कंटक रही है। तब से लेकर पिछले विधानसभा चुनावों तक, सभी में वह अपना परचम लहराती आई है। अब उसके सामने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में भी यह प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है।
2014 से भाजपा का राज
वर्ष 2014 से भाजपा यहां लोकसभा की सभी सीटों पर एक छत्र राज करती आ रही है और अब उसके सामने हैट्रिक लगाने की चुनौती है। इसी के हिसाब से पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति को धरातल पर उतारना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में पार्टी ने गांव चलो अभियान की रूपरेखा बनाई है। 22 जनवरी के बाद यह कभी भी प्रारंभ किया जा सकता है। इसके पीछे पार्टी की मंशा बूथ सशक्तीकरण की है। अब तक के चुनावों में “बूथ जीता-चुनाव जीता” के मूलमंत्र पर चलते हुए भाजपा सफलता के सोपान छूती आई है। गांव चलो अभियान में पार्टी के सभी नेता जुटेंगे। वे गांव-गांव जाकर घर-घर संपर्क कर आमजन को पार्टी की रीति-नीति के साथ ही केंद्र एवं राज्य सरकारों की उपलब्धियों और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देंगे।
पार्टी सभी नेता कम से कम एक दिन गांव में रहकर पन्ना प्रमुखों, पार्टीजनों के साथ ही आमजन के साथ बैठकें करेंगे। ग्रामीणों की समस्याएं जानकर इनका निराकरण भी कराएंगे। यही नहीं, अधिक से अधिक व्यक्तियों को पार्टी से जोड़ा जाएगा। पार्टीजनों को इस संदेश के साथ मोर्चे पर लगाया जाएगा कि उनकी पांच माह की मेहनत देश के भविष्य के 50 साल तय करेगी।