उत्तराखंड में ग्लोबल वॉर्मिंग का असर, 2 महीने पहले ही खिलने लगे बुरांश, वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ी
उत्तराखंड| बुरांश के फूल के फायदे बहुत हैं लेकिन कहीं ये फूल भी अब अलग संकेत तो नहीं दे रहा? पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन संबंधी संकट से जूझ रही है। इसके चलते ग्लेशियरों का पिघलना, जंगलों में आग, बाढ़, उष्णकटिबंधीय तूफान और सूखे जैसे खतरे बढ़े हैं।
उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं रहा है। जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियों पर जारी चर्चा के बीच उत्तराखंड में भी ग्लोबल वार्मिंग का असर साफ दिखने लगा है। यहां इस बार कुछ ऐसा हुआ है, जिसने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है।
समय से 2 महीने से पहले ही खिलने लगा बुरांश
दरअसल पहाड़ी क्षेत्रों में मिलने वाले राज्य वृक्ष बुरांश का फूल इस बार करीब दो महीने पहले ही खिल गया है। आमतौर पर बुरांश के पेड़ों पर जनवरी के अंतिम सप्ताह में फूल खिलते हैं, लेकिन इस बार दिसंबर के दूसरे सप्ताह में ही बुरांश में फूल खिलने लगे हैं। मौसम वैज्ञानिक इसे पहाड़ में जलवायु परिवर्तन का असर मान रहे हैं, जो कि हिमालयी क्षेत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
तापमान की यह वृद्धि रासायनिक परिवर्तनों के कारण हुई है, जो बुरांश पुष्प को जल्दी फूलने की ओर ले जाती है। जलवायु परिवर्तन ही इसका मुख्य कारण होता है। बता दें कि बुरांश औषधीय गुणों से भरपूर वृक्ष है। बुरांश के फूलों से न सिर्फ औषधीय जूस बनता है। बल्कि सिर दर्द, श्वास से जुड़े रोग और दाद-खाज-खुजली आदि में भी बुरांश का सेवन लाभकारी बताया गया है।