कक्षा 3 से 8 तक संस्कृत अनिवार्य होगी
ख़ास बात:
- संस्कृत शिक्षा को लेकर इस कदम से संबंधित विषय के बेरोजगार शिक्षकों को अवसर मिलेगा।
- निर्देश का पालन न करने वाले स्कूलों की मान्यता समाप्त करने संबंधी कार्यवाही की जाएगी।
देहरादून: उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार बड़ी पहल कर रही है। उत्तराखण्ड में अब निजी स्कूलों में अब सरकारी स्कूलों की तर्ज पर संस्कृत शिक्षा को अनिवार्य रूप में पढ़ाया जाएगा। जल्द ही इसके लिए शासनादेश जारी कर दिया जाएगा।
संस्कृत शिक्षा को लेकर सरकार के इस कदम से संबंधित विषय के बेरोजगार शिक्षकों को अवसर मिलेगा। प्रदेश के विद्यालय शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने कहा कि संस्कृत को सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों के लिए भी अनिवार्य किया जाएगा।
प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों में कक्षा 3 से लेकर कक्षा 8 तक संस्कृत पढ़ाना अनिवार्य किया जा रहा है। संस्कृत को स्कूलों में पढ़ाए जाने के साथ ही समस्त सरकारी स्कूलों के नाम हिंदी के साथ ही संस्कृत में भी लिखे जाएंगे। प्रदेश सरकार के निर्देश का पालन न करने वाले स्कूलों की मान्यता समाप्त करने संबंधी कार्यवाही की जाएगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि संस्कृत शिक्षा को स्कूलों में पढ़ाए जाने से द्वितीय राजभाषा को बढ़ावा मिलेगा।
आज माननीय प्रधानमंत्री श्री @NarendraModi जी के जन्मदिवस के अवसर पर यह निर्णय लिया गया कि प्रदेश के प्रत्येक राजकीय एवं निजी विद्यालय में कक्षा 3 से 8 तक संस्कृत विषय अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा।#HappyBdayPMModi pic.twitter.com/auUOw3FL6a
— Arvind Pandey (मोदी का परिवार) (@TheArvindPandey) September 17, 2019
शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने शासनादेश जारी करने के शिक्षा सचिव को निर्देश दिए हैं। अरविंद पाण्डेय ने कहा कि अब प्रदेश में पंचायत, युवा कल्याण, खेल, विद्यालयी शिक्षा और संस्कृत शिक्षा में बोर्ड लेखन और आमंत्रण पत्र हिंदी के साथ ही संस्कृत में प्रकाशित होंगे।