भारत बंद के बाद किसान संगठनों और सरकार के बीच आज बैठक
नई दिल्ली | भारत बंद के बाद 9 दिसंबर को होने वाली बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के कड़े तेवर देखने को मिल सकते हैं। किसान आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि इस बैठक में दोनों पक्ष लाल आंखों के साथ मिलेंगे। सरकार ने किसानों के भारत बंद को फेल करने का हर संभव प्रयास किया है। शांतिपूर्वक तरीके से किए जा रहे बंद को कुचलने के लिए सरकारी तंत्र का जमकर दुरुपयोग किया गया।
वहीं किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि हरियाणा से ऐसे लोगों को किसान बनाकर केंद्रीय कृषि मंत्री के सामने बैठा दिया गया, जो किसान लग ही नहीं रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने भारत बंद को लेकर एक बड़ी साजिश रची है। किसानों को गुमराह किया जा रहा है। इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए सभी हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। जब किसान आंदोलन से जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि भारत बंद को सफल बनाने की रणनीति पर काम कर रहे थे तो उसी वक्त मीडिया में यह खबर आई कि हरियाणा के किसान नेता, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मिलने पहुंचे हैं। किसान नेताओं ने दावा किया था कि वे प्रदेश के तीन किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को उन किसान नेताओं ने एक हस्ताक्षरित पत्र सौंपा है। इसमें लिखा है, तीनों बिलों को किसान संगठनों के सुझावों के अनुसार जारी रखा जाना चाहिए। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शनपाल कहते हैं, केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए कोई प्रयास बाकी नहीं छोड़ा है। किसानों ने शालीनता के साथ भारत बंद का आह्वान किया है, अब सरकार खुद माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रही है। सरकार ने इस आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए गहरी साजिश रची है। केंद्र सरकार ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को आपस में लड़ाने का प्रयास भी किया, लेकिन ऐसा करने में वह सफल नहीं हो सकी।
किसान संगठनों के प्रतिनिधि 9 दिसंबर की बैठक में तय समय पर पहुंचेंगे। हालांकि सरकार ने किसान आंदोलन को तोड़ने और भारत बंद को फेल करने के लिए जो हथकंडे अपनाए हैं, उससे मन में एक अविश्वास की भावना पैदा हुई है। वही सरकार आज किसानों के भारत बंद को नाकाम बनाने के लिए साजिश रच रही है, नौ दिसंबर को उसी सरकार के मंत्रियों के सामने किसान प्रतिनिधि बैठेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, अभी तक हमें छठे दौर की बातचीत के लिए सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है, जिसमें किसी विशेष मुद्दे का जिक्र हो। बैठक का मसौदा किसान नेताओं के पास नहीं पहुंचा है। बुधवार की बैठक में हम लोग उम्मीद के साथ जाएंगे। हमारी मांग में कोई बदलाव नहीं हुआ है। ये अभी वही हैं कि तीनों कानून खत्म किए जाएं, एमएसपी को कानूनी आधार मिले और पराली जलाने पर जो भारी जुर्माना लगाया गया है, उसे नीचे लाया जाए।