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संयुक्त राष्ट्र में पाक को भारत का जवाब

विदेश मंत्रालय की सचिव विदिशा मैत्रा ने कहा, “आज हमने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से जो कुछ भी सुना है, वह दोगलेपन का कटु चित्र है।"

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र महासभा के सभागार में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण के प्रत्योत्तर में भारत ने जवाब देने के अधिकार के अंतर्गत पडोसी देश को को करारा जवाब दिया।

भारत की ओर से विदेश मंत्रालय की सचिव विदिशा मैत्रा ने कहा, “आज हमने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से जो कुछ भी सुना है, वह दोगलेपन का कटु चित्र है। हमारे और उनके; अमीर और गरीब; विकसित और विकासशील; मुस्लिम और अन्य को लेकर जिस तरह बातें कही गईं, वे संयुक्त राष्ट्र को विभाजित करने वाली कहानी का हिस्सा हैं। मतभेदों को धार देने और नफरत बढ़ाने वाले इस भाषण को संक्षेप में ‘‘घृणायुक्त भाषण’’ कहा जा सकता है।“

मैत्रा ने आगे कहा, ”पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का गलत इस्तेमाल किया। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति बदतर है और उनपर जुल्म हो रहे हैं । यह एक ऐसा देश है जहां अल्‍पसंख्‍य समुदाय का प्रतिशत वर्ष 1947 के 23 फीसदी से घटकर अब सिर्फ तीन प्रतिशत रह गया है और जहां  ईसाई, सिख, अहमदिया, हिंदू, शिया, पश्तून, सिंधियों और बलूचियों को ईश निंदा कानूनों, उत्पीड़न और घृणित प्रताणना से  गुजरने  तथा उन्‍हें धर्मातंरण के लिए विवश किया जाता है। “

विदिशा मैत्रा ने इमरान खान से पाक जमीं पर पल रहे आतंकवादियों का मुद्दा उठाया और सवाल किया, “क्या पाकिस्तान इस बात की पुष्टि करता है कि उसके यहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध 25 उग्रवादी गुट हैं और संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्दिष्ट 130 आतंकवादी वहां पनाह पाए हुए हैं?”

इसके अलावा विदिशा मैत्रा ने कहा, ” जम्‍मू कश्‍मीर में विकास तथा भारत के साथ उसके विलय की प्रक्रिया को बाधित कर रहे एक पुराने तथा अस्‍थाई प्रावधान को खत्‍म किए जाने के संबंध में पाकिस्तान की जहर बुझी प्रतिक्रिया इस बात का प्रतीक है कि जो टकराव में यकीन रखते हैं वे कभी शांति को पंसद नहीं कर सकते । एक तरफ जहां पाकिस्‍तान बड़े स्‍तर पर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है वहीं दूसरी ओर वह नफरत भरे बयान देने के मामले में निचले स्‍तर पर उतर गया है जबकि भारत जम्‍मू कश्‍मीर को विकास की मुख्‍य धारा से जोड़ने की कोशिश कर रहा है।“

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