February 21, 2025

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कर राजस्व से जुटाएंगे 26 हजार करोड़ रुपये, बढ़ते खर्चों की प्रतिपूर्ति करने की चुनौती

उत्तराखंड के लिए अभी अपनी स्वयं की आय के बल पर सभी खर्चों की प्रतिपूर्ति दूर की कौड़ी है। केंद्र से मिलने वाली सहायता और 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के आधार पर अनुदान के बूते वेतन, भत्ते और पेंशन के भुगतान को लेकर हर महीने संकट की नौबत से कुछ हद तक राहत मिली है। आने वाले समय में यह खर्च और बढ़ने जा रहा है। इससे निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने स्वयं के कर राजस्व को बढ़ाने की पहल की है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में स्वयं के कर राजस्व से 26 हजार से अधिक धनराशि जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। एसजीएसटी, आबकारी, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन के साथ ही खनन से अधिक आय की उम्मीदें बांधी गई हैं। प्रदेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती वेतन, भत्ते, पेंशन, मजदूरी के रूप में गैर विकास मदों पर बढ़ने खर्च से पार पाने की है। राहत की बात यह है कि प्रदेश सरकार ने इस अवधि में स्वयं के कर राजस्व वृद्धि की। 2024-25 में स्वयं के कर राजस्व से 22,509 करोड़ प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया।

3000 करोड़ से अधिक कर राजस्व जुटाने का रखा गया था लक्ष्य
वित्तीय वर्ष समाप्त होने तक लक्ष्य से अधिक धनराशि प्राप्ति होने की उम्मीद है। कर राजस्व बढ़ाने के प्रयासों को सफलता मिलने से उत्साहित होकर इस लक्ष्य में नए वित्तीय वर्ष में 4000 करोड़ की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2023-24 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2024-25 में 3000 करोड़ से अधिक कर राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों पर अगले वित्तीय वर्ष तक मिलेगी सहायता प्रदेश सरकार को वित्तीय संकट से उबारने में 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों की बड़ी भूमिका रही है। इनके आधार पर वर्ष 2025-26 तक सरकार को केंद्र से निर्धारित वित्तीय सहायता मिलती रहेगी। वर्ष 2020-21 से यह सहायता मिलनी प्रारंभ हुई थी। आयोग ने पहली बार राजस्व घाटा अनुदान के रूप में पांच वर्षों तक 28,147 करोड़ की धनराशि देने की राह तैयार की थी। केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ी। इसका परिणाम यह हुआ कि हर महीने वेतन-भत्ते व पेंशन देने के लिए ऋण लेने को विवश राज्य को विकास कार्यों के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध हो सकी।

वर्ष 2025-26 के लिए निर्धारित किया गया कर राजस्व (धनराशि: करोड़ रुपये)
विभाग, कर राजस्व लक्ष्य
एसजीएसटी, 11833
वैट, 2779
स्टांप एंड रजिस्ट्रेशन, 3091
आबकारी, 5060
खनन, 1500
परिवहन, 1767
वन, 720
ऊर्जा, 605

प्रदेश में इस प्रकार है वेतन आदि पर खर्च
वित्तीय वर्ष, धनराशि (करोड़ रुपये)
2018-19, 12900
2019-20, 13,054
2020-21, 13709
2021-22, 14,511
2022-23, 15883
2023-24, 16638
2024-25, 19582

प्रदेश में पेंशन खर्च की स्थिति
वित्तीय वर्ष, धनराशि (करोड़ रुपये)
2018-19, 5396
2019-20, 5507
2020-21, 6168
2021-22, 6364
2022-23, 7181
2023-24, 7597
2024-25, 8140