चेतावनियों से भी चेता नहीं उत्तराखंड
चाइल्ड सेक्स रेशो में सबसे फिसड्डी राज्य उत्तराखंड
नई दिल्ली। उत्तराखंड समय पर नहीं चेता और उसने उचित कदम नहीं उठाए, नीति आयोग के ताज़ा आंकड़ों से यह साबित हुआ। आयोग ने हाल में, सस्टेनेबेल डेवलपमेंट गोल्स को लेकर जो डेटा जारी किया, उसके मुताबिक शिशु जन्म में लिंग अनुपात के मामले में उत्तराखंड सबसे पिछड़े राज्य है। राज्य में प्रति 1000 बालकों पर सिर्फ़ 840 बालिकाएं जन्मती हैं। हैरत और दुख की बात यह है कि 2021 में ऐसे आंकड़े होंगे, यह अनुमान विशेषज्ञों ने पांच साल पहले ही लगा लिया था!
एसडीजी ने जो आंकड़े जारी किए, उनके मुताबिक शिशु जन्म के समय बाल लिंगानुपात के सबसे बेहतर आंकड़े छत्तीसगढ़ में दिखाई दिए, जहां यह अनुपात 1000:958 रहा। पंजाब में 890 और हरियाणा में 843 का औसत चिंताजनक ज़रूर है, लेकिन पहले कम सेक्स रेशो के शिकार इन राज्यों के आंकड़े इस बार बेहतर दिखे। उत्तराखंड में यह सूरत नहीं दिखाई दी।
रजिस्ट्रार जनरल और भारत के जनगणना कमिश्नर ने संयुक्त रूप से जो अध्ययन किया था, उसके मुताबिक 2016 में रिपोर्ट्स में कहा गया था कि उत्तराखंड में बच्चों का सेक्स रेशो में 2021 में 800 के आसपास पहुंच जाएगा। यह साफ तौर पर एक चेतावनी थी, लेकिन उत्तराखंड ने इस दिशा में गंभीर प्रयास करने में चूक की। मानवाधिकार के एशियन केंद्र ने तब एक रिपोर्ट “उत्तराखंड में बालिका भ्रूण हत्या की स्थिति” शीर्षक से प्रस्तुत की थी, जिसमें राज्य की स्थितियों को चिंताजनक बताया गया था। वहीं, 2011 की जनगणना के मुताबिक 6 साल की उम्र तक के बच्चों के मामले में उत्तराखंड में सेक्स रेशो 890 का था। यानी पिछले दस साल में यह अनुपात और गिर चुका है।
दो साल पहले राज्य के उत्तरकाशी इलाके से बालक बालिका लिंग अनुपात को लेकर जो खबरें आई थीं, वो भी खतरे की घंटी की तरह थीं, लेकिन ताज़ा आंकड़े कह रहे हैं कि उनकी गूंज भी बेअसर रही। 2019 में जुलाई के महीने में इस तरह की रिपोर्ट्स प्रमुखता से छपी थीं कि उत्तरकाशी के 132 गांवों में तीन महीने से किसी बालिका का जन्म न होना देखा गया था, जबकि इतने समय में 216 बालकों का जन्म हुआ था। उस समय भी, बताया गया था कि उत्तराखंड में सेक्स रेशो का जो राज्य का औसत था, उत्तरकाशी में उससे कम अनुपात देखा जा रहा था। अब ताज़ा आंकड़े बता रहे हैं कि बच्चों के जन्म के समय लिंग अनुपात में देश का औसत 899 है, तो उत्तराखंड में केवल 840।