36 साल से जहर घोल रहा यूनियन कार्बाइड का कचरा
भोपाल। दुनिया की भीषणतम औद्योगिक गैस त्रासदी में शुमार भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का जहरीला कचरा 36 साल बाद भी जमीन में जहर घोल रहा है। यह कचरा कारखाने के आसपास की 48 कॉलोनियों के भू-जल को प्रभावित कर चुका है। इस बीच एक बार राहत की उम्मीद फिर जाग गई है।
गैस राहत विभाग ने कचरे को नष्ट करने के लिए टेंडर कर दिए हैं। ये दोनों गुजरात की फर्म हैं। इनके पास कचरा नष्ट करने के संसाधनों व इंसीनेटर को देखने के लिए विशेषज्ञों की टीम का निरीक्षण होना बाकी है। कचरा एकत्रित करने के पहले लिए जाने वाले सैंपलों की रिपोर्ट में भी समय लगेगा।
गैस राहत विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गुजरात की ऑयल फील्ड एनवायरो प्राइवेट लिमिटेड और चेतन कुमार वीरचंद भाईसा मल्टी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने गैस राहत विभाग के सामने प्रजेंटेशन दिया है। उसकी सत्यता को दोबारा परखा जा रहा है। इनके पास संसाधनों का भौतिक निरीक्षण किया जाएगा।
इस प्रक्रिया पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य सरकार के विशेषज्ञ नजर रख रहे हैं। इस तरह कचरा कलेक्शन शुरू होने में चार महीने लगेंगे। भोपाल में दो व तीन दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात को गैस कांड हुआ था।
यह कारखाना जेपी नगर में है। इसके परिसर में सैंकड़ों टन कचरा पड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2015 में इंदौर के पीथमपुर में 10 मीट्रिक टन कचरे का निपटान किया था। पीथमपुर में रामकी कंपनी के इंसीनेटर में जहरीला कचरा जलाया गया था। पूर्व में उक्त जहरीले कचरे को जर्मनी भेजने का प्रस्ताव भी आया था लेकिन वहां के नागरिकों ने इसका विरोध किया था। अब गुजरात में कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
गैस पीड़ित संगठनों की लड़ाई लड़ने वाली साधना कर्णिक ने जेपी नगर के कारखाना परिसर में मेमोरियल बनाने पर आपत्ति दर्ज कराई है। गैस राहत संगठन की रचना ढींगरा ने कचरे की मात्रा को लेकर आपत्ति जताई है। उनका दावा है कि कारखाना के अंदर व परिसर में लाखों टन कचरा पड़ा हुआ है। सरकार कम बता रही है।