राजाजी की रियासत में कुओं से बुझ रही बेजबानों की प्यास, CM धामी ने बैठक में जताई चिंता

राजाजी टाइगर रिजर्व में अब बेजबानों को हलक तर करने के लिए भटकना नहीं पड़ रहा है। जल प्रबंधन के लिए वहां डब्लू-3 यानी वेल्स वाटरहोल वाइल्डलाइफ माडल विकसित किया गया है। इस अभिनव पहल के तहत अभी तक आठ वेल वाटर सर्किट बनाए जा चुके हैं। इसके फलस्वरूप रिजर्व की चिल्लावाली व धौलखंड रेंज में वन्यजीवों के लिए पानी की समस्या का स्थायी समाधान किया गया है। राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक के समापन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, वन मंत्री सुबोध उनियाल ने राजाजी डब्लू-3 माडल पर केंद्रित पुस्तिका का विमोचन किया। हिमालयी पर्वतीय क्षेत्र की दक्षिणी सीमा और गंगा के जलोढ़ मैदानों की उत्तरी सीमा पर स्थित है राजाजी टाइगर रिजर्व। इसका अधिकांश क्षेत्र शिवालिक और भाबर के अंतर्गत है। शिवालिक की पहाड़ियों से कई मौसमी नदियां निकलती हैं, जिन्हें रौ कहा जाता है। ये भाबर क्षेत्र में आकर कंकड़-पत्थरों में समा जाती हैं। इसके चलते जंगल में वन्यजीवों के लिए गर्मियों में पीने के पानी की दिक्कत भी गहरा जाती है। पानी की तलाश में वन्यजीव आबादी वाले इलाकों में धमकते हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए डब्लू 3 माडल का खाका खींचा गया। इस माडल के तहत चिल्लावाली व धौलखंड रेंज में कुएं बनाए गए हैं, जिनमें स्थानीय पारंपरिक ज्ञान के साथ ही अनूठी भौगोलिक व स्थलाकृतिक विशेषताओं का भी ध्यान रखा गया है। इस माडल में 15 से 20 फीट की गहराई तक कुएं खोदे जाते हैं और फिर इनके पास के क्षेत्रों में पाइपलाइन के माध्यम से पानी एकत्र कर गुरुत्वाकर्षण से नीचे की ओर बने जलकुंडों तक पहुंचाया जाता है। ये कुएं वाटरहोल से जुड़े होते हैं और स्वच्छ जल का सतत स्रोत बनते हैं। कुछ जगह एक कुआं पांच से छह किमी दूर तक जलापूर्ति कर सात वाटरहोल को पानी देता है। इससे एक पूरा सर्किट बन जाता है।
यहां बने हैं वेल वाटर सर्किट
आयरन ब्रिज, पटेरबाड़ा, मुंडी तबड़ी, धौलखंड न्यू, मोहंड न्यू, चिकना रौ, अंधेरी रौ व धौलखंड ओल्ड।
पुलिस की भांति शस्त्रों का उपयेाग कर सकेंगे वन कर्मी
वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले वन कर्मी अब पुलिस की भांति शासकीय शस्त्रों का उपयोग कर सकेंगे। अभी तक यह व्यवस्था है कि ड्यूटी के दौरान शस्त्रों का उपयोग करने के लिए वन कर्मी लाइसेंस लेंगे। इसे देखते हुए लंबे समय से मांग उठ रही थी कि वनकर्मियों को भी पुलिस की भांति शस्त्रों का उपयेाग करने की अनुमति दी जाए। पूर्व में इसके लिए मानक प्रचालन कार्यविधि के साथ ही शासनादेश निर्गत करने पर जोर दिया गया था। वन्यजीव बोर्ड की बैठक में बताया गया कि अब जल्द ही इसके लिए शासनादेश में संशोधन किया जाएगा।
27 वन प्रभागों में 40 हजार बंदरों के बंध्याकरण का लक्ष्य
राज्य में बंदरों के उत्पात की बढ़ती समस्या के निवारण के लिए बंदरों का बंध्याकरण किया जा रहा है। वर्ष 2015-16 से वर्ष 2024-25 तक राज्य में 1,19,970 बंदरों का बंध्याकरण हो चुका है। बोर्ड की बैठक में बताया गया कि इस वर्ष 27 वन प्रभागों में 40 हजार बंदरों का बंध्याकरण किया जाएगा।
गोपेश्वर में बनेगा मिनी ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर
वन्यजीव बोर्ड की बैठक में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत गोपेश्वर में घायल व रेसक्यू किए गए वन्यजीवों के उपचार के लिए मिनी ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर की स्थापना के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई। इसके अलावा रुद्रनाथ यात्रा मार्ग को क्षेत्र के पांच गांवों की इको विकास समितियों के माध्यम से संचालित करने के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक मंजूरी दी गई।