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भारतीय विमान एयर इंडिया आईसी-814 के अपहरणकर्ता का बेटा बना तालिबानी रक्षामंत्री

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तालिबानी आतंकियों ने अपने संस्‍थापक मुल्‍ला उमर के बेटे मुल्‍ला मोहम्‍मद याकूब को देश का रक्षा मंत्री बनाया है।

काबुल । अफगानिस्‍तान में तालिबान ने अपनी सरकार का ऐलान तो कर दिया पर उसमें जो चेहरे मंत्री बनाए गए उनमें से अधिकांश का आंतकी वारदातों में बड़ा रोल रहा है। तालिबानी आतंकियों ने अपने संस्‍थापक मुल्‍ला उमर के बेटे मुल्‍ला मोहम्‍मद याकूब को देश का रक्षा मंत्री बनाया है। यह वही मुल्‍ला उमर है जिसने भारत के एयर इंडिया विमान आईसी-814 के अपहरण की साजिश रची थी। रक्षा मंत्री बनाए जाने के बाद अब तालिबान की ओर से मुल्‍ला मोहम्‍मद याकूब की पहली तस्‍वीर को सार्वजनिक किया गया है। मुल्‍ला याकूब के कश्‍मीर आतंकी संगठनों लश्‍कर और जैश के साथ बेहद करीबी संबंध है। यही नहीं मुल्‍ला याकूब को पाकिस्‍तान का भी पूरा समर्थन प्राप्‍त है। मुल्ला मोहम्मद याकूब को तालिबान की नई सरकार में सबसे अधिक महत्वपूर्ण रक्षा मंत्रालय की कमान सौंपी गई है। मुल्ला याकूब और हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी के बीच रक्षा मंत्री के पद को लेकर काफी दिनों से खींचतान जारी थी। चूंकि ये दोनों ही पाकिस्‍तान के करीबी हैं, इसलिए आईएसआई चीफ के हस्‍तक्षेप के बाद एक समझौता हुआ जिसके तहत याकूब को अफगानिस्तान का रक्षा मंत्री बनाया गया है। याकूब तालिबान के सैन्य अभियानों का चीफ है।

याकूब के ही इशारे पर तालिबान के आतंकी और पाकिस्‍तानी आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकवादी अफगान सेना पर हमले करते थे। मंत्री बनते ही मुल्‍ला याकूब की अब पहली सार्वजनिक तस्‍वीर भी सामने आ गई है। उत्तराधिकार के विभिन्न संघर्षों के दौरान उसे तालिबान का समग्र नेता घोषित किया गया था। लेकिन उसने 2016 में हिबतुल्लाह अखुंदजादा को आगे करके तालिबान का सरगना घोषित कर दिया। माना जाता है कि याकूब अपने संगठन में तनाव को कम करना चाहता था क्योंकि उसके पास युद्ध के अनुभव की कमी थी और वह उम्र में भी कई नेताओं से बहुत छोटा था। यही नहीं मुल्‍ला याकूब ने अपने पिता मुल्‍ला उमर की मौत के बाद उसकी जगह लेना चाहता था लेकिन ऐसा होने नहीं दिया गया था। अफगानिस्‍तान में लश्‍कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्‍मद के पाकिस्‍तानी आतंकियों ने मुल्‍ला याकूब के इशारे पर ही अफगान सेना के खिलाफ भीषण हमले किए थे। सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि 7 हजार से ज्‍यादा पाकिस्‍तानी आतंकी तालिबान की मदद करने के लिए अफगानिस्‍तान पहुंचे थे।

तालिबान ने कई इलाकों में लश्‍कर और जैश के आतंकवादियों को युद्ध के दौरान सलाहकार, कमांडर और प्रशासक बनाया था। यही नहीं पाकिस्‍तान ने अफगानिस्‍तान में लड़ने के लिए पाकिस्‍तान ने बड़े पैमाने पर आतंकियों की भर्ती भी की थी। मुल्‍ला याकूब लश्‍कर और जैश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अफगान सेना पर हमले कर रहा था। तालिबान के लड़ाकुओं को लश्‍कर के पाकिस्‍तान के हैदराबाद शहर में स्थित ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण दिया गया था। इनके साथ पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी भी अफगानिस्‍तान में तैनात किए गए थे।