September 8, 2025

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 धूम्रपान करने वाले कोरोना मरीजों में मौत का जोखिम 50 फीसदी ज्यादा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार धूम्रपान करने वालों में कोरोना की गंभीरता और इससे मौत होने का जोखिम 50 प्रतिशत ज्यादा होता है

नई दिल्ली। कोरोना का संक्रमण लगातार देश-दुनिया में लोगों को परेशान किए है। महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से टूटती सांसों ने फेफड़ों की सेहत दुरूस्त रखने की जरूरत बताई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार धूम्रपान करके अपने फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों में कोविड की गंभीरता और इससे मौत का जोखिम 50 फीसदी ज्यादा होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार धूम्रपान करने वालों में कोरोना की गंभीरता और इससे मौत होने का जोखिम 50 प्रतिशत ज्यादा होता है, इसलिए कोरोनावायरस के जोखिम को कम करने के लिए धूम्रपान छोड़ देने में ही भलाई है। धूम्रपान की वजह से कैंसर, दिल की बीमारी और सांस की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है।

इस संबंध में नारायणा अस्पताल गुरुग्राम में कंसल्टेंट एंड सर्जन, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, डा शिल्पी शर्मा ने कहा कि आज के दौर में जो लोग धूम्रपान करते हैं, उन्हें कोरोना महामारी को इस लत को छोड़ने के एक और प्रमुख कारण के रूप में देखना चाहिए। लोगों को स्वस्थ फेफड़ों के महत्त्व को समझना होगा और अपने फेफड़ों को इस धीमे ज़हर से बचाने का प्रण लेना चाहिए।

एक्शन कैंसर अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट, हेड एंड नेक, ब्रेस्ट एंड थोरैसिक ऑन्को सर्जरी यूनिट, डॉक्टर राजेश जैन, के अनुसार कोविड या फेफड़ों से सम्बंधित किसी भी संक्रमण के सन्दर्भ में सबसे पहले यह समझें कि फेफड़े जितने स्वस्थ होंगे संक्रमित व्यक्ति की ठीक होने की क्षमता भी उतनी ही अधिक होगी। जाहिर है, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के फेफड़े तुलनामक रूप से कमज़ोर होंगे तो कोविड संक्रमण के बाद होने वाले गंभीर निमोनिया का अधिक जोखिम होगा।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ साइकेट्री डा सोनाक्षी ने कहा कि कोई भी लत छोड़ने के लिए खुद को दिमागी तौर पर तैयार करना सबसे पहला कदम है। उन्होंने इस लत को छोड़ने के इच्छुक लोगों को कुछ छोटे-छोटे उपाय बताए। उनके अनुसार एक समय में एक सिगरेट ही खरीदें,। एक बार में पूरी सिगरेट पीने की बजाय आधी पीकर बाकी छोड़ देने की आदत डालें। इसे छोड़ने की कोई तारीख निश्चित कर लें या शुरू में सप्ताह में एक दिन न पीने का प्रण लें और धीरे धीरे एक से दो दिन और फिर दो से तीन दिन पर आएं। इन उपायों के अलावा निकोटिन च्यूइंग-गम चबाना भी तम्बाकू की तलब नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

दिल्ली मधुमेह अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ ए के झींगन ने कहा कि धूम्रपान करने वाले लोगों के लिए कोविड-19 के अधिक घातक होने की बड़ी वजह यही है कि उनका शरीर वायरस के हमले का प्रतिरोध नहीं कर पाता और फेफड़े कमजोर होने के कारण उन्हें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत अन्य लोगों से ज्यादा होती है। धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल में निदेशक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ अंशुमन कुमार के अनुसार कोविड महामारी के दौर में पोस्ट कोविड सिंड्रोम एक अतिरिक्त समस्या के रूप में उभरा है।

संक्रमण से मुक्त होने के बाद धूम्रपान फेफड़ों की हीलिंग पॉवर यानी ठीक होने की शक्ति को कम कर सकता है, कोविड का नसों और मासंपेशियों पर होने वाला असर धूम्रपान के कारण और भी गंभीर हो सकता है, क्योंकि तम्बाकू भी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।

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