आतंकियों की पहुंच देश के संवेदनशील प्रतिष्ठानों तक, यह संदेश देने के लिए किया गया जम्मू में विस्फोट
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर स्थित वायुसेना के अड्डे पर दो ड्रोन हमले का मकसद क्या था? इस सवाल पर मंथन किया जा रहा है। इंटेलीजेंस ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार यह सिर्फ ‘मैसेज देने की’ कोशिश थी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि संभव है कि ड्रोन को ऑपरेट करने के अलावा कोई भी इंसान इस हमले में शामिल नहीं रहा हो। इस स्थान को टार्गेट करने के लिए इलाके का नक्शा गूगल मैप से लिया गया होगा। यह हमला संभवत: यह संदेश देने के लिए किया गया है कि आतंकियों की पहुंच देश के संवेदनशील प्रतिष्ठानों तक भी है।
खुफिया सूत्रों ने बताया कि दोहरे धमाकों के पीछे पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का हाथ हो सकता है। नाम न छापने की शर्त पर शीर्ष अधिकारियों ने खुलासा किया कि एयरबेस पर हमले में इस्तेमाल किया गया ड्रोन बेहद एडवांस और रिमोट गाइडेड था। इसे प्रॉपर जीपीएस गाइडेंस दी गई थी। जांच एजेंसियों ने जम्मू में किसी स्लीपर सेल के शामिल होने से इनकार किया है।
सूत्रों के अनुसार विस्फोट का क्षेत्र और आसपास के 10 किमी के दायरे में हिंदू बहुसंख्यक आबादी है। इस इलाके में इतने विस्फोटक के साथ ड्रोन लाना नामुमकिन है। हाल में कोई इनपुट नहीं मिला था कि इस तरह के हमले को अंजाम देने के लिए कोई मीटिंग हो रही हो।
इस बीच नदीम-उल-हक को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि वह विस्फोटों में शामिल नहीं था। उच्च पदस्थ सूत्र ने नाम न प्रकाशित किए जाने की शर्त पर बताया कि ‘टीआरएफ के नदीम की गिरफ्तारी से मौजूदा मामले का कोई संबंध नहीं है, लेकिन उससे पूछताछ के जरिए आईईडी और विस्फोटक के स्रोत का पता लगाने में मदद मिल सकती है। इस बात की जांच की जा रही है कि हवाईअड्डे पर हुए विस्फोट से पहले नदीम ने किसी तरह की रेकी तो नहीं की थी।
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब भारत का पाकिस्तान से संघर्ष विराम समझौता जारी है। एक सूत्र ने कहा अभी हम जांच के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। अगर जांच के नतीजों में पाकिस्तान से किसी तार जुड़ने के संकेत मिलते हैं तो हम उचित मंच पर अपना पक्ष रखेंगे। अभी के लिए सीजफायर पर फिर से विचार करने की जरूरत नहीं है। शुरुआती जांच से पता चला है कि विस्फोट में इम्पैक्ट चार्ज टेक्नॉलॉजी के साथ इम्पैक्ट चार्ज एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल किया गया। शीर्ष अधिकारियों ने बताया, विस्फोटक का असर तब होता है जब रिलीज के बाद यह सतह के संपर्क में आता है। आईईडी को 100 मीटर की ऊंचाई से गिराया गया था।