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कश्मीर सहित दुनियाभर के मुसलमानों के लिए आवाज उठायेगा तालिबान

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तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि उनके संगठन के पास जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है

जम्मू । चीन में उइगर मुसलमानों पर की जा रही क्रूरता पर चुप्पी साधने वाले तालिबान ने कहा है कि उसे दुनियाभर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने यह कहते हुए जम्मू-कश्मीर का भी नाम लिया। तालिबान ने यह बात ऐसे समय पर कही है जब एक दिन पहले ही रिपोर्ट आई है कि अलकायदा ने उससे कश्मीर को लेकर मदद मांगी है। हालांकि, इससे पहले तालिबान नेतृत्व ने यह भी कहा था कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के मुद्दों में शामिल नहीं होगा और अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ नहीं होने देगा।

तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि उनके संगठन के पास जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है। सुहैल ने अमेरिका के साथ हुए दोहा समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि किसी देश के खिलाफ सशस्त्र अभियान नहीं चलाएगा। शाहीन ने जूम के जरिए दिए इंटरव्यू में कहा, ”एक मुसलमान के तौर पर, भारत के कश्मीर या किसी और देश में मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का हमारे पास अधिकार है।” सुहैल ने कहा कि हम उन देशों से मुसलमानों के साथ समानता के लिए अपील करेंगे।

तालिबान के प्रवक्ता ने भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या से जुड़े सवाल पर कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है कि किन हालातों में ऐसा हुआ। शाहीन ने कहा कि उन्हें यह नहीं पता कि सिद्दीकी की जान किसकी गोली से हुई। रॉयटर्स से जुड़े दानिश की हत्या पिछले दिनों अफगानिस्तान में कर दी गई थी।

अमेरिका में हुए 9/11 आतंकी हमले के जिम्मेदार खूंखार दहशतगर्द संगठन अलकायदा ने तालिबान को अफगानिस्तान पर राज जमाने की मुबारकबाद दी है। यही नहीं अलकायदा ने तालिबान को दिए अपने संदेश में कश्मीर समेत दुनिया के उन इलाकों को आजाद कराने की बात कही ही, जो इस्लाम के दुश्मनों के कब्जे में है।

अलकायदा की ओर से जारी बयान में कहा, ‘अब सीरिया, सोमालिया, यमन, कश्मीर और दुनिया भर में मौजूद इस्लाम की उस धरती को आजाद कराना है, जो इस्लाम के दुश्मनों के हाथों में है। ओ अल्लाह! पूरी दुनिया में इस्लाम के बंधक बने लोगों को आजादी दे।’ सरकारी सूत्रों ने कहा कि कश्मीर का जिक्र और चेचेन्या और शिनजियांग को छोड़ देने वाली बात से यह जाहिर होता है कि अल कायदा के इस बयान में पाकिस्तान का हाथ था।