November 21, 2024

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Power Crisis | राज्यों पर कोयला कंपनियों का हजारों करोड़ बकाया, महाराष्ट्र-बंगाल सबसे ऊपर

कोयला आपूर्ति में कमी की शिकायत करने वाले तमाम राज्यों के ऊपर हजारों करोड़ रुपये का बकाया है।
कोयला

कोयलानई दिल्ली । कोयला आपूर्ति में कमी की शिकायत करने वाले तमाम राज्यों के ऊपर कोल इंडिया लिमिटेड और सिंगरेनी कोलियरीज का हजारों करोड़ रुपये का बकाया है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, बकाया राशि के मामले में सबसे ऊपर ‘महाराष्ट्र राज्य पावर जनरेशन कंपनी’ है। इस पर कोल इंडिया का 2,608.07 करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल है। राज्य के ‘वेस्ट बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन’ पर कोल इंडिया का 1066.40 करोड़ रुपये का बकाया है।

केंद्र सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक:

  • झारखंड की तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड के ऊपर कोल इंडिया का 1018.22 करोड़ रुपये का बकाया है।
  • तमिलनाडु जनरेशन एंड एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के ऊपर 823.92 करोड़ रुपये का बकाया है।
  • मध्य प्रदेश पावर जनरेशन कंपनी के ऊपर 531.42 करोड़ रुपये का बकाया है।
  • राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के ऊपर 429.47 करोड़ रुपये का बकाया है।

कोल इंडिया लिमिटेड का कहना है कि महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य के पावर जनरेशन कंपनियों से संबंधित बकाया बहुत अधिक हैं। फिर भी कंपनी ने कभी भी इनको दी जाने वाली कोयले की आपूर्ति को विनियमित नहीं किया और उप-समूह योजना और रेक की उपलब्धता के अनुसार पर्याप्त आपूर्ति की गई है।

वहीं, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड का:

  • आंध्र प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम पर 764.70 करोड़ रुपये का बकाया है।
  • कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड पर 514.14 करोड़ रुपये का बकाया है।
  • तमिलनाडु एनर्जी कंपनी लिमिटेड पर 59.19 करोड़ रुपये का बकाया है।
  • तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरर्पोरेशन लिमिटेड के ऊपर 32.79 करोड़ रुपये का बकाया है।

सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि वेस्ट बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के खुद के कैप्टिव ब्लॉक हैं। कोयला नियंत्रक संगठन से मिली जानकारी के मुताबिक, इसके कैप्टिव ब्लॉक से उत्पादन उनके अंतिम उपयोग संयंत्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड का केंद्र सरकार पर करीब 1.30 लाख करोड़ बकाया है। अगर केंद्र ने बकाया भुगतान किया होता, तो झारखंड सरकार 50 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीदकर इसकी आपूर्ति करती।

मुख्यमंत्री ने उक्त बातें नई दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने के बाद मीडिया से कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने बकाया राशि के भुगतान के लिए केंद्र सरकार से पत्राचार किया है। यह बकाया कोयला, खनन क्षेत्र से जुड़ा हैं। बकाया राशि भुगतान के लिए पत्राचार की अभी शुरुआत हुई है। बकाया राशि बढ़ती जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय के बाद इस प्रकार का सेमिनार आयोजित हुआ है। इस दौरान राज्यों के अंदर विधि- न्यायालय को लेकर आधारभूत संरचना, लंबित केसों, आने वाले समय में लोगों के लिए कानून व्यवस्था सुगम बनाने पर चर्चा हुई।