Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

Special Report | लोहारी गांव ले रहा जलसमाधि

विकास की कीमत चुकाता उत्तराखंड का ये गांव, खुद अपनी छतों का बोझ लेकर पलायन को विवश, देखें ये विशेष रिपोर्ट।
  • जलसमाधि ले रहा देहरादून का लोहारी गांव
  • 120 मेगावाट की व्यासी परियोजना से मिलेगी बिजली
  • सिर्फ इतिहास बन कर रह जाएगा लोहारी गांव
  • ग्रामीणों की आंखे हुई नम

देहरादून |  कई सालों पहले जिस तरहा से हंसता खेलता और खिलखिलाता टिहरी गांव जल में समा गया था। ठीक उसी तरहा आज लोहारी गांव भी जलसमाधि लेने जा रहा है। आज के बाद यह गांव सिर्फ इतिहास बन कर रह जाएगा।

दरअसल,ये कोई दैवीय आपदा नही थी यह मानवीय परकाष्ठा और सरकारी मशीनरी की हुकूमत थी, ये वो मंजर था जो कभी लोहारी गांव के ग्रामवासियों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। ये दंश इन ग्रामीणों को जीवनभर कुरेदता रहेगा।

लखवाड़-ब्यासी बांध परियोजना के तहत 6 गाँव जलमग्न होंगे,जिनमे एक गांव लोहारी भी शामिल था,गांव को सरकारी मशीनरी ने 48 घण्टे में खाली करने का अल्टीमेटम क्या दिया मानो ग्रामीणों के कलिजे चिरने लगे,लेकिन हुकूमत के आगे सब भावनाएं, अनुभूति धराशाई हो गई। लोगों ने जैसे-तैसे अपना सामान समेटना शुरू किया।

जौनसार में ज्यादातर घर लकड़ी के बने होते है, लोगो ने सोचा किसी और जगह जाकर घर बनायेगे तो खिड़की,दरवाजे के लिए लकड़ी का इंतेज़ाम कैसे करेंगे तो उन्होंने अपने घरों से लकड़ी लेने के लिए तोड़ना शुरू किया, जिस घर को बनाने में,बसाने में कितनी पीढ़ी ने मेहनत की होगी आज वो मेहनत पल भर में खत्म हो गयी। एक सुंदर रमणीक गाँव देखते ही देखते उजाड़ बन गया है।

गाँव के लोगों का रो रोकर बुरा हाल है। आखिर हो भी क्यों ना देखते देखते उनका घर चला गया,कुछ समय में गाँव डूब जायेगा। इस गांव के डूबने के साथ लोगों की एक संस्कृति, एक सभ्यता, एक पहचान भी पानी की आगोश में चली गई है।

देखिये ग्राउंड जीरो से ये विशेष रिपोर्ट।