कानून के रखवाले ही उड़ा रहे सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां
ख़ास बात:
- भगवानपुर में उड़ रही सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां
- अधिवक्ताओं का नहीं है सोशल डिस्टेंसिंग की फिक्र
- चैम्बरों में सैनिटाइजर तक नहीं
- ऐसे कैसे पाएंगे ज़ोरोना पर जीत
भगवानपुर: कोरोना के चलते सबकी ज़िन्दगी में मानिए उथल-पुथल मच गयी है। सरकार परेशान है, लोग हैरान हैं, हर कोई अलग तरह से चुनौतियों का सामना कर रहा है। छोटे-बड़े कारोबारियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था इसके चलते उत्तराखण्ड सरकार ने इन कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक बाजार खोलने के आदेश दिये। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को बहाल रखा।
लेकिन लापरवाही के आलम ये हैं कि आम आदमी की तो छोड़िये , खुद क़ानून के रखवाले ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। भगवानपुर तहसील के केम्पस में बैठे अधिवक्ताओं का हाल देख लीजिये – इन के पास दूरदराज़ से आये क्लाइंटों की भीड़ लगी हुई है, लेकिन मजाल है जो सोशल डिस्टेंसिंग के पाठ का किसी को भी यहाँ ख़याल हो। इनको शायद लगता है कि कोरोना महामारी इनसे दूर रहेगी या फिर वो है ही नहीं।
प्रशासन का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग बना कर रखनी है – लेकिन ये अधिवक्ता इन निर्देशों को पलीता लगाते नजर आ रहे है। अधिवक्ताओ के चैम्बरों की बात करें, तो कई चैम्बर्स में एक बेसिक सैनिटाइजर तक मौजूद नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि कानून के रखवाले ही कानून की धज्जियां उड़ा रहे है। जब अधिवक्ताओ के अध्यक्ष पलटूराम से बात की गयी तो उनका कहना था कि अगर आज कोई त्रुटि नजर आ रही है तो कल एक आदेश के माध्यम उसको दूर कर दी जायेगी, जिसका सीधा सीधा मतलब है कि अगर आज मीडिया कर्मी तहसील के केम्पस में न पहुँचते तो अधिवक्ता ऐसे ही लापरवाही के साथ काम करते रहते।
अब इन बड़े-बड़े कानून के पाठ पढ़े हुए अधिवक्ताओं को कोई क्या समझाए – कैसे समझाए कि यहाँ के बाद एक घर भी है, जहाँ इनके अपने इनकी राह देखते हैं और ये लापरवाही ज़िन्दगी का रंग बदल सकती है।