सीडीएस बिपिन रावत को श्रद्धांजलि देने पहुंचे राकेश टिकैत के खिलाफ नारेबाजी
नई दिल्ली| शोक में डूबे राष्ट्र ने नम आंखों से प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत को शुक्रवार को अंतिम विदाई दी। यहां दिल्ली छावनी स्थित बरार स्क्वेयर अंत्येष्टि स्थल पर जनरल रावत और उनकी पत्नी के पार्थिव शरीर को उनकी बेटियों ने एक ही चिता पर मुखाग्नि दी जिसके बाद दोनों की पार्थिव देह पंचतत्व में विलीन हो गईं। बुधवार को, तमिलनाडु के कुन्नूर के पास एक एमआई17वी5 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से जनरल रावत (63), उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्यकर्मियों का निधन हो गया था। दिल्ली स्थित सीडीएस बिपिन रावत के आवास पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। यहां कई बड़ी हस्तियों ने आकर सीडीएस और उनकी पत्नी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
किसान नेता राकेश टिकैत भी यहां श्रद्धांजलि देने पहुंचे। लेकिन बताया जा रहा है कि राकेश टिकैत को यहां देखने के बाद कुछ लोगों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की। राकेश टिकैत देश का दुश्मन है। देश को बहुत पीछे ले गया है इसलिए नारे लगाए जा रहे हैं।’ एक अन्य शख्स ने कैमरे पर कहा, ‘गलत है जी! ऐसे आदमी को ऐसी महान विभूति के दर्शन के लिए नहीं आना चाहिए।’ पीछे से किसी ने टिकैत को ‘डकैत’ करार दिया।
इधर इस मामले पर अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर लिया है। अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जनरल रावत जी की अंतिम यात्रा में किसान नेता राकेश टिकैट जी के ख़िलाफ़ नारे लगानेवाले भाजपाइयों ने साबित किया है कि वो ‘जय जवान-जय किसान’ के उद्घोष में विश्वास नहीं करते हैं। ये सेना का अपमान भी है और किसान का भी। शोक के समय में भाजपाइयों का ऐसा अभद्र व्यवहार देश माफ़ नहीं करेगा।
जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी की अस्थियां शनिवार को हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित की जाएंगी। पारिवारिक सदस्यों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जनरल रावत की छोटी बेटी तारिणी ने कहा, ‘हम कल उनकी अस्थियां लेकर हरिद्वार जाएंगे।’ तारिणी ने अपनी बड़ी बहन कृतिका के साथ आज अपने माता-पिता के अंतिम संस्कार से संबंधित अनुष्ठान कार्य किए। जनरल रावत के छोटे भाई एवं पूर्व सैन्य अधिकारी विजय रावत ने कहा, ”हम कल उनकी अस्थियों को हरिद्वार ले जाएंगे। हम परिवार के सदस्य उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने जाएंगे।