September 7, 2025

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सरल और संक्षिप्त

सिद्धू स्टार प्रचारक, स्टार नेता नहीं

पंजाब की राजनीति में घटनाक्रम के बाद यह तो है साफ सिद्धू नहीं परिपक्व नेता

नई दिल्ली। पिछले दो माह में पंजाब की राजनीति में जिस तरह का घटनाक्रम सामने आया है, उसमें यह तो साफ हो गया है कि नवजोत सिंह सिद्धू परिपक्व नेता नहीं हैं। वे भीड़ जुटाकर अपनी बात तो कह सकते हैं, लेकिन संगठन को एकजुट कर आगे ले जाने में सक्षम नहीं हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की विदाई के बाद जब नई सरकार चलना सीख रही थी, तभी सिद्धू ने उसकी लाठी को तोड़ दिया।

कैप्टन के बाद जिस सिद्धू के भरोसे कांग्रेस नदी पार करने की सोच रही थी, उसी ने नाव को डुबोने का काम किया है। सिद्धू भले ही मुद्दों की बात कर रहे हों, लेकिन उनके तरीके को लेकर कांग्रेस के भीतर ही नाराजगी है। सिद्धू ने इस्तीफा तब दिया, जब मंत्री चार्ज संभाल रहे थे। यह टाइमिंग सबको नागवार गुजरी। पहले इसके बारे में किसी से बात नहीं की। सीधे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। जब सब पूछते रहे कि नाराजगी की वजह क्या है तो सोशल मीडिया पर फिर वीडियो पोस्ट कर दिया। ष्टरू चन्नी ने भी इस ओर इशारा किया कि वे पार्टी प्रधान हैं, परिवार में बैठकर बात करते। सिद्धू का यह रवैया किसी को रास नहीं आ रहा।

जो अब तक साथ थे, वो अलग होते चले गए
कैप्टन अमरिंदर के विरोध के बावजूद सिद्धू पंजाब कांग्रेस प्रधान बने। इसमें अहम रोल मौजूदा डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा और मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा का रहा। नई सरकार बनी तो अब वे सिद्धू का साथ छोड़ गए। परगट सिंह सिद्धू के करीबी थे, उन्होंने भी सिद्धू के समर्थन में इस्तीफा न देकर किनारा कर लिया।

अमरिंदर राजा वडिंग को मंत्री बनाने में सिद्धू ने खूब लॉबिंग की, वे मंत्री बन गए तो अब सिद्धू का सपोर्ट करके नहीं, बल्कि मध्यस्थ बनकर काम कर रहे हैं। इसी बड़ी वजह सिद्धू के अचानक लिए जाने वाले फैसले हैं। पहले कैप्टन और अब सिद्धू के चक्कर में टिकट न कटे, इसलिए विधायक और नेता कूदकर सरकार के पाले में चले गए हैं।

इस बार अपने स्टाइल से खुद झटका खा गए सिद्धू
नवजोत सिद्धू के अचानक फैसले लेने का स्टाइल समर्थकों को खूब रास आता रहा है। उनके बयान से लेकर हर बात पर अड़ जाने की खूब चर्चा रही। सिद्धू की जिद के आगे हाईकमान को कैप्टन को हटाना पड़ा। चरणजीत चन्नी का नाम भी सिद्धू ने ही आगे किया था। चन्नी सीएम बने तो अब सिद्धू की सुनवाई नहीं हो रही। संगठन प्रधान होने के बावजूद वे खुद उसकी सीमा लांघ गए। सब कुछ सार्वजनिक तरीके से कर रहे है। पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू का आक्रामक अंदाज उन्हीं पर भारी पड़ रहा है।

उन्हें आलाकमान ने साफ तौर पर कह दिया कि बयानबाजी से पहले पार्टी के हित में सोचें और पार्टी के मुद्दों पर सार्वजनिक बयानबाजी बंद करें। साथ ही सिद्धू को पार्टी के अन्य नेताओं से तालमेल कर मुद्दों को सुलझाने का निर्देश दिया गया है। सिद्धू की बुधवार देर शाम आलाकमान से मुलाकात हुई। सिद्धू प्रदेश कांग्रेस के लिए अगली रणनीति पर विचार-विमर्श करना चाहते थे लेकिन आलाकमान ने उलटे उनकी क्लास लगाकर पाठ पढ़ा दिया है कि प्रदेश इकाई के प्रधान को किस तरह से कामकाज करना चाहिए।

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