‘बीबीसी शर्म करो’ – पीएम मोदी के खिलाफ एजेंडे से ब्रिटेन के भारतीयों में आक्रोश
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लंदन । ब्रिटेन में विभिन्न प्रवासी भारतीय संगठनों के सैकड़ों सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संबंधित विवादास्पद डाक्यूमेंट्री के विरोध में रविवार को मध्य लंदन में बीबीसी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। लंदन मैनचेस्टर बर्मिंघम ग्लासगो और न्यूकैसल में बीबीसी स्टूडियो में चलो बीबीसी विरोध प्रदर्शन किया गया और इंडियन डायस्पोरा यूके (आईडीयूके) फ्रेंड्स ऑफ इंडिया सोसाइटी इंटरनेशनल (एफआईएसआई) यूके इनसाइट यूके और हिंदू फोरम ऑफ ब्रिटेन (एचएफबी) जैसे संगठनों ने मिलकर प्रदर्शन किया।
https://twitter.com/RamiRanger/status/1619724040607768576?s=20&t=6aZpi62wxsVl4qvFXjyGYw
प्रदर्शनकारियों ने बायकॉट बीबीसी ब्रिटिश बायस कॉर्पोरेशन और स्टॉप द हिंदूफोबिक नैरेटिव बीबीसी शर्म करो और भारत माता की जय जैसे नारे लिखी तख्तियां लहराईं। एफआईएसआई यूके के जयु शाह ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आधारित डाक्यूमेंट्री अत्यंत पक्षपातपूर्ण है। भारतीय न्यायपालिका ने मोदी को पूरी तरह बेकसूर बताया है। इसके बावजूद बीबीसी ने न्यायाधीश और न्यायपालिका बनने का फैसला किया। उन्होंने कहा बीबीसी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच होनी चाहिए और सार्वजनिक प्रसारक के रूप में अपने कर्तव्य में विफल रहने पर बीबीसी के निदेशक मंडल की जांच की जानी चाहिए।
300+ gathered and raised their voice. This movement is against the Biased British Corporation (BBC). Stop peddling your lies and targeting Bharat & Hindus. #bbcprotest #BBCLies #BBCDocumentary. 🙏🕉️ @loveenatandon @BiharKaLall @rahulkumarindia @BBCNews @bbc_protest @IDUKGroup pic.twitter.com/PUn02gWriN
— Abhi Yogi (Sanatan Sanstha UK) 🕉🇮🇳🇬🇧 (@abhikyogi) January 29, 2023
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि उनकी मां शारीरिक अक्षमता के कारण व्हीलचेयर की मदद लेती हैं और इसके बावजूद वह यहां आई हैं क्योंकि उन्हें लगा कि बीबीसी द्वारा फैलाए जा रहे झूठे और भारत विरोधी दुष्प्रचार के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है। ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) की डाक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ दो भाग में है जिसमें दावा किया गया है कि यह 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की पड़ताल पर आधारित है। साल 2002 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। विदेश मंत्रालय ने वृत्तचित्र को दुष्प्रचार का हिस्सा बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता का नमूना है।