February 23, 2025

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CAA प्रोटेस्ट | उप्र सरकार वापस करे रिकवरी में वसूला गया पैसा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदर्शनकारियों से वसूली गई रकम को वापस किया जाए। यह धनराशि करोड़ों में है।
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्टनई दिल्ली । सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ जारी रिकवरी नोटिस को यूपी सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदर्शनकारियों से वसूली गई रकम को वापस किया जाए। यह धनराशि करोड़ों में है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ रिकवरी नोटिस और उसके लिए शुरू की गई कार्यवाही को वापस ले लिया गया है।

सीएए के खिलाफ 2019 में प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। इस मामले में यूपी सरकार ने रिकवरी नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि राज्य सरकार ने जो भी रकम कथित प्रदर्शनकारियों से वसूली है, वह रिफंड करे। साथ ही यूपी सरकार को इस बात की इजाजत दे दी है कि वह एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नए कानून यूपी रिकवरी ऑफ डैमेज टू प्रॉपर्टी एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट के तहत कार्यवाही कर सकती है।

इससे पहले यूपी सरकार की एडीशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा कि प्रदर्शनकारियों और सरकार को इस बात की इजाजत देनी चाहिए कि वह क्लेम ट्रिब्यूनल के सामने जाएं। मामले में रिकवर की गई रकम को वापस करने का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करने से मना कर दिया और कहा कि रिकवरी नोटिस वापस हो चुका है और कार्रवाई खत्म हो गई। यूपी सरकार रिकवर की गई रकम वापस करे।

11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सीएए कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ यूपी सरकार द्वारा जारी रिकवरी नोटिस पर कड़ी नाराजगी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आखिरी मोहलत देते हुए कहा था कि वह रिकवरी से संबंधित कार्रवाई को वापस ले। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर कार्रवाई नहीं वापस की गई तो हम इसे खारिज कर देंगे क्योंकि यह नियम के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारे आदेश के तहत जो नियम तय हैं, उसके तहत कार्रवाई नहीं हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिसंबर 2019 में सीएए कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ रिकवरी कार्यवाही शुरू की गई है और यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय नियम के खिलाफ है और यह कार्रवाई टिकने वाली नहीं है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगु‌वाई वाली बेंच ने कहा था कि यूपी सरकार इस मामले में शिकायती, निर्णायक और अभियोजन खुद बन गया है और आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में परवेज आरिफ टिटू की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि जिला प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नोटिस जारी किया है और प्रदर्शन के दौरान हुई पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान की भरपाई के लिए रिकवरी नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता ने मामले में रिकवरी नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार की ओर से नोटिस मनमाने तरीके से जारी की गई है। नोटिस एक ऐसे शख्स के खिलाफ जारी किया गया जो छह साल पहले मर चुका है और उनकी उम्र मरने के वक्त 94 साल की थी। साथ ही ऐसे लोग भी हैं जिन्हें प्रदर्शनकारी बताते हुए नोटिस जारी किया गया उनमें दो की उम्र 90 साल से ऊपर है। यूपी सरकार की ओर से अडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा था कि इस मामले में 106 एफआईआर दर्ज की गई है और 833 लोगों के खिलाफ दंगा-फसाद का केस दर्ज किया गया है। 274 रिकवरी नोटिस जारी किया गया है। इन 274 नोटिस में 236 में आदेश पारित हो चुका है और जबकि 38 मामले बंद हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपको कानून का पालन करना होगा। हम आपको आखिरी मौका 18 फरवरी तक देते हैं। आप एक कागजी कार्रवाई से इसे वापस ले सकते हैं।