सैनिकों की मौत का बदला अभी पूरा नहीं हुआ: अमेरिका
नई दिल्ली । अमेरिका ने भले ही अफगानिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया हो, मगर वह अपने दुश्मन इस्लामिक स्टेट खोरासान से अपने सैनिकों की मौत बदला लेना नहीं छोड़ेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रांत (आईएसआईएस-के) को चेतावनी दी और कहा कि अभी तक अमेरिका का बदला पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने अपने दुश्मनों को धमकाते हुए कहा कि जो लोग अमेरिका को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, हम ऐसे लोगों को ढूंढकर मारेंगे और उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। दरअसल, बीते दिनों काबुल एयरपोर्ट पर हुए धमाके में अमेरिका के 13 सैनिकों की मौत हो गई थी और करीब डेढ़ सौ से अधिक अफगानियों की भी मौत हो गई थी। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खुरासान ने ली थी, जिसके बाद अमेरिका ने एयरस्ट्राइक कर काबुल ब्लास्ट के साजिशकर्ता को मार गिराया था।
काबुल हमले के बाद भी बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका आतंकियों को ढूंढकर मारेगा। अफगानिस्तान में हमारा मिशन कामयाब रहा। साथ ही उन्होंने आतंकवाद से लड़ाई जारी रखने की बात एक बार फिर से दोहराई। बाइडेन ने कहा कि हम अफगानिस्तान समेत दुनिया भर में आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहेंगे। मगर अब किसी देश में आर्मी बेस नहीं बनाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे यकीन है अफगानिस्तान से सेना बुलाने का फैसला, सबसे सही, सबसे बुद्धिमानीपूर्ण और बेस्ट है।
अफगानिस्तान में युद्ध अब खत्म हो चुका है। मैं अमेरिका का चौथा राष्ट्रपति था, जो इस सवाल का सामना कर रहा था कि इस युद्ध को कैसे खत्म किया जाएगा। मैंने अमेरिकी लोगों से कमिटमेंट किया था कि यह युद्ध खत्म करुंगा और मैंने अपने फैसले का सम्मान किया। जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी की सफलता का क्रेडिट अमेरिकी सेना और राजनयिकों को दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी आर्मी और राजनयिकों के अविश्वसनीय कौशल, बहादुरी और निस्वार्थ साहस के कारण ही यह मिशन सफल हो पाया।
बाइडेन ने कहा कि ऑपरेशन के हिस्से के रूप में शहीद हुए 13 सैनिकों को भुलाया नहीं जाएगा। बाइडेन ने कहा, इस मिशन की सेवा में 20 सर्विसे मेंबर्स घायल हो गए। तेरह नायकों ने अपनी जान दे दी। उन्होंने कहा कि अपने जवानों की शहादत को हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए। जो बाइडेन ने कहा कि हमारे सैनिकों ने दूसरों की सेवा करने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। यह युद्ध का मिशन नहीं था, बल्कि दया का मिशन था।
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जो कर दिखाया, इतिहास में कभी किसी ने नहीं किया है। बाइडेन ने अमेरिका से फौजों को बुलाने के फैसले पर एक बार फिर सफाई दी। उन्होंने कहा कि यह फैसला रातों-रात नहीं लिया गया। इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया पूरी की गई। बड़ी संख्या में लोगों ने इस पर अपनी राय दी, अमेरिकी फौज से जुड़े तमाम लोगों से रायशुमारी किया गया।
इसके बाद यह फैसला किया गया कि अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी पूरी तरह से हो गई है और इस तरह से 19 साल, 10 महीने और 25 दिन बाद यानी करीब 20 साल बाद एक बार फिर अफगानिस्तान पर तालिबान का पूरी तरह से कब्जा हो गया है। बता दें कि अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद करीब 7 अक्तूबर, 2001 से अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ अपना अभियान शुरू कर दिया था। जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया उस वक्त वहां पर तालिबान का ही शासन था।