ग़रीबों के मुंह से निवाला छीनते राशन डीलर
रिपोर्ट: मुर्सलीन अल्वी
ख़ास बात:
- ग़रीबों का हक़ मारते राशन डीलर
- भगवानपुर के खेड़ी सीखोपुर में कर रहा राशन डीलर मनमानी
- ग्रामीणों से करता है अभद्र व्यवहार, तौलता है कम राशन
- ग्रामीण हैं राशन डीलर की मनमानी से लम्बे समय से परेशान
भगवानपुर: देश इस वक़्त कोरोना से जूझ रहा है। मीलों का सफ़र तय करते भूखे बच्चों के साथ मजदूर किसी का भी दिल पिघला देंगे। लेकिन जहाँ कुछ लोग ये सोच रहे हैं कि क्या खाएं, अपने भूखे बच्चों को क्या खिलायें, ये बेहद शर्मनाक है कि कुछ राशन डीलर मज़लूमों ज़रूरतमंदों का राशन डकारने में लगे है।
जी हां हम बात कर रहे है उन गरीबों की जिनको राज्य सरकार महंगे दामों में चावल गेहूं चीनी खरीद कर राशन कार्ड के ज़रिये उन्हें सस्ते दामों पर अनाज मुहैया कराती है। लेकिन इसे घोर कलयुग का असर कहिये या इंसान में इंसानियत का हर पल मरते जाना कि ऐसी महामारी में भी कुछ मुट्ठी भर राशन डीलर ग़रीबों का हिस्सा मार रहे हैं।
दअरसल पूरा मामला भगवानपुर तहसील के खेड़ी सीखोपुर का है, जहाँ पिछले काफी समय से राशन डीलर गांव के ग्रामीणों के साथ अभद्र व्यवहार करता है व राशन लेने आये मजबूर ग्रामीणों के राशन कार्ड को उनके ऊपर फ़ेंक कर महज इसलिये मार देता है कि वो डर कर दोबारा राशन लेने न आ सकें, और वो उन सभी डरे सहमे ग्रामीणों का राशन जमा करके उसकी भारी भरकम दामों पर काला बाजारी कर सके।
वहीं मौजूद जब इस बाबत ग्रामीणों से हमारे संवादाता मुर्सलीन अल्वी ने बात की तो उनका साफ तौर पर कहना था कि गांव का राशन डीलर ग्रामीणों के साथ न सिर्फ दुर्व्यवहार करता है बल्कि राशन भी पूरा नहीं तौलकर धांधली करता है। इसके अलावा वो राशन भी महंगी दर पर देता है।
लम्बे समय से चली आ रही इस राशन डीलर की बेईमानी के चलते आज गांव के सेकड़ो ग्रामीणों ने भगवानपुर तहसील परिसर पहुँच कर उपजिलाधिकारी सन्तोष कुमार पांडेय को ज्ञापन सौंपा। पूर्व जिला पंचायत सदस्य रॉव फ़सात ने बताया कि राशन डीलर का अधिकारियों के साथ काफी बढिया रसूक होने के कारण कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाती है। वहीं जब इस बाबत उपजिलाधिकारी सन्तोष कुमार पांडेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अगर ये शिकायत सही पायी जाती है, तो राशन डीलर के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या राशन माफिया के खिलाफ अधिकारियों की कलम चल पाती है, या ये गरीब के हक़ मारने वालों की ये दास्ताँ भी महज़ कागज़ों में ही सिमट कर दम तोड़ देती है।